1) मातृभूमि
(प्रस्तुत कविता में कवि ने मातृभूमि की सुंदर छटा का वर्णन किया है। कवि को अपनी मातृभूमि पर गर्व है क्योंकि
यहाँ राम-सीता, कृष्ण व गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया है। यहाँ पर बहते झरने, नदियाँ, आकाश चूमता
हिमालय और चरणों में झूमता हिंद महासागर कवि को भाव-विभोर करता है।)
ऊँचा खड़ा हिमालय, आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक, नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुन त्रिवेणी, नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली, पग-पग छहर रही है।
वह पुण्यभूमि मेरी, वह स्वर्णभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
झरने अनेक झरते, जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं, कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है, तन-मन सँवारती है।
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hii....if you have any questions you can
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