1. महात्मा गांधी द्वारा लिखित निबंध
चोरी और प्रायश्चित नामक निबंध में
प्रायश्चित की कितनी अवस्थाओं का
उल्लेख है
Answers
¿ महात्मा गांधी द्वारा लिखित निबंध चोरी और प्रायश्चित नामक निबंध में प्रायश्चित की कितनी अवस्थाओं का उल्लेख है ?
✎... महात्मा गाँधी द्वारा लिखित निबंध ‘चोरी और प्रायश्चित’ में प्रायश्चित की एक ही अवस्था का उल्लेख किया है, वह अवस्था प्रायश्चित की शुद्धतम अवस्था होती है।
महात्मा गाँधी अपनी निबंध में कहते हैं कि जब कोई मनुष्य अपनी किसी अपराध या गलती के लिए संबंधित व्यक्ति के सम्मुख स्वेच्छा से और निष्कपट भाव से अपना अपराध स्वीकार कर लेता है और फिर कभी वैसा अपराध न करने की प्रतिज्ञा करता है, तो वह प्रायश्चित शुद्धतम प्रायश्चित होता है। ऐसा ही उन्होंने अपने पिताजी के सामने किया जब उन्होंने अपनी द्वारा की गई चोरी की एक घटना का उल्लेख करते हुए पिताजी को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने अपनी चोरी के लिये क्षमा मांगते हुए प्रायश्चित किया था।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○