Hindi, asked by lalitasoy92, 4 months ago

1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़े तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें :-
(10)
महानगरों में जो सभ्यता फैली है, वह छिछली और हृदयहीन है। लोगों के पारस्पारिक मिलन के अवसर तो बहुत
हो गए हैं, मगर इस मिलन में घनिष्ठता नहीं होती, मानवीय संबंधों में घनिष्ठता नहीं आ पाती। दफ्तर, ट्रामों,बसों, रेलों,
सिनेमाघरों, सभाओं और कारखानों में आदमी हर समय भीड़ में रहता है, मगर इस भीड़ के बीच वह अकेला होता है।
मनुष्यता के लिए जरूरी मनुष्य के भीतर पहले जो माया, ममता और सहानुभूति के भाव थे, वे अब लापता होते जा रहे हैं।
देशों के बीच की पारस्परिक दूरी अब घट गई है, किन्तु आदमी और आदमी के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है।
(क) महानगरों की सभ्यता को हृदयहीन क्यों कहा गया है ?
(ख) मानवीय संबंधों में घनिष्ठता होने का क्या तात्पर्य है ?
(ग) महानगरों की भीड़ में आदमी अकेला कैसे होता है ?
(घ) मनुष्यत्व के भीतर किस तरह के भाव होते हैं ?​

Answers

Answered by kanwaswalajuzer
2

Explanation:

Rysjensjdcd is a division fyuri2u that is not 3 or a small part 4 or is not a factor affecting Climate control as it may be used for 2 or may be used to make it more 7

Answered by shreya457sl
0

Answer:

दिए हुए अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नो के उत्तर निम्न है।

Explanation:

(क) महानगरों की सभ्यता को हृदयहीन कहा गया है। लोगो के पास मिलने के अवसर तो बहुत होते है परन्तु उनके संभंदो में वास्तविक घनिष्ठा नहीं होती है, सब दिखावा होता ह।  कोई किसी से असल में लगाव नहीं रखना चाहता है। इसलिए महानगरों को हृदयहीन बोलै गया है।

(ख) घनिष्ठा का अर्थ आपस में मनुष्यता का भाव होना होता है, जहाँ एक मनुष्य अकेला न महसूस करे।

(ग) महानगरों में लोग तो बहुत होते है परन्तु उस भीड़ में भी आदमी अकेला होता है क्योकि किसी के पास दुसरो के लिए वक़्त नहीं होता है।

(घ) एक मनुष्य के अंदर मानवता के भाव होने चाहिए, माया, ममता, तथा सहानुभूति, जो पहले हुआ करती थी अब धीरे धीरे ख़तम होती जा रही है।

#SPJ3

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