1.निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिकिए।
बार- बार सोचते, क्या होगा उस कोम का जो अपने देश की खातिर घर- गृहस्थी- जिंदगी सब कुछ होम देने वालों पर भी हस्ती है और अपने लिए बिकने के मौके दूंदती है।दुखी हो गए पन्द्रह दिन बाद उसी कस्बे से गुज़रे।कस्बे में घुसने से पहले खयाल आया कि कस्बे की हडायस्टली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी,लेकिन सुभाष की आंखो पर चश्मा नहीं होगा। क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।और कैप्टन मर गया।सोचा, आज वहां रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएंगे, मूर्ति की तरफ़ देकेंगे भी नहीं,सीधे निकल जाएंगे।ड्राइवर से कह दिया,चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ़ उठ गईं।कुछ ऎसा देखा कि चीखे, रोको!जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे।जीप रुकते- न- रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज़- तेज़ कदमों से मूर्ति की तरफ़ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटेंशन में खड़े हो गए।मूर्ति की आंखो पर सरकंडे से बना छोटा- सा चश्मा रखा हुआ था, जैसा बच्चे बना लेते है।हालदार साहब भावुक है। इतनी- सी बात पर उनकी आंखे भर आई।
1.कस्बे में घुसने से पहले हालदार साहब क्या सोच रहे थे?
2.चौराहा आते ही हालदार साहब ने ड्राइवर से जीप रोकने को क्यों कहा?
3.हालदार साहब की आंखे क्यों भर आई थी?
4.हालदार साहब चौराहे पर क्यों नहीं रुकना चाहते थे?
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