Hindi, asked by raja2492012, 3 months ago

1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर लिखिए आज किसी भी व्यक्ति का सबसे अलग एक टापू की तरह जीना संभव नहीं रह गया है। मानव समाज में

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विभिन्न पंथों और विविध मत-मतांतरों के लोग साथ-साथ रह रहे हैं। ऐसे में यह अधिक आवश्यक हो गया है कि लोग एक दूसरे को जानें, उनकी आवश्यकताओं को, उनकी इच्छाओं आकांक्षाओं को समझें, उन्हें वरीयता दें और उनके धार्मिक विश्वासों, पद्धतियों, अनुष्ठानों को सम्मान दें। भारत जैसे देश में यह और भी अधिक आवश्यक है, क्योंकि यह देश किसी एक धर्म, मत या विचारधारा का नहीं है। स्वामी विवेकानंद इस बात को समझते थे और अपने आचार विचार में वे अपने समय से बहुत आगे थे। उन्होंने धर्म को मनुष्य की सेवा के केन्द्र में रखकर ही आध्यात्मिक चिंतन किया था। उन्होंने यह विद्रोही बयान दिया कि इस देश के तैंतीस करोड़ भूखे, दरिद्र और कुपोषण के शिकार लोगों को देवी-देवताओं की तरह मंदिरों में स्थापित कर दिया जाए और मंदिरों से देवी- देवताओं की मूर्तियों को हटा दिया जाए। उनका दृद्ध मत था कि विभिन्न धर्मो-संप्रदायों के बीच संवाद होना ही चाहिए। वे विभिन्न संप्रदायों की अनेक- रूपता को उचित और स्वाभाविक मानते थे। स्वामी जी विभिन्न धार्मिक आस्थाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के पक्षधर थे और सभी को एक ही धर्म का अनुयायी बनाने के विरुद्ध थे। वे कहा करते थे- "यदि सभी मानव एक ही धर्म को मानने लगें, एक ही पूजा पद्धति को अपना लें और एक सी नैतिकता का अनुपालन करने लगें, तो यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण वात होगी, क्योंकि यह सब हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक विकास के लिए प्राणघातक होगा तथा हमें हमारी संस्कृतिक जड़ों से काट देगा।"

(क) 'टापू की तरह जीने से लेखक का क्या अभिप्राय है?

1. घमंड में रहना।

3. समाज से जुड़कर रहना।

(ख) भारत जैसे देश में क्या आवश्यक हो गया है?

1. धार्मिक स्वतंत्रता।

3. एक दूसरे से मिलकर रहना।

2. समाज से अलग रहना। 4. विनम्र बनकर रहना।

2 एक दूसरे के विपरीत रहना।

4. अपने-अपने घर में रहना।

(ग) विभिन्न पंचो एवं मत मतांतरों के लोग मिलकर नहीं रहेंगे तो क्या परिणाम होगा?

1. समाज में शांति होगी।

3. सभी का जीवन और अधिक कठिन हो जायेगा।

2 धार्मिक संस्थानों में विवाद नहीं होगा। 4. सभी का जीवन सुखमय हो जायेगा।​

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Answered by pallavikumari814150
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Answer:

vibhinn aur vibhinn mat Man Ko log Sar 17 Rahe Hain Aise Mein Adhik avashyak

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