Hindi, asked by ragavgsaigmailcom25, 11 months ago

1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है, 'बलं बलवतामस्मि कामरागविवर्जितम्।' बलवानों में वैराग्युक्त निष्काम
बल हूँ। शब्दों पर खूब ध्यान दो। सिर्फ 'बल' नहीं कहा। 'वैराग्ययुक्त निष्काम बल'। इस वैराग्ययुक्त निष्काम
बल की ही मूर्ति हम व्यायामशालाओं में रखा करते हैं। वह कौन-सी मूर्ति है? हनुमान जी की पवित्र और
सामर्थ्यवान मूर्ति। हनुमान पूर्ण वैराग्ययुक्त निष्काम बल के पुतले थे। इसलिए वाल्मीकि ने उनके स्तुति स्तोत्र
गाए। रावण भी महा बलवान था। लेकिन रावण में वैराग्य नहीं था। रावण का बल भोगने के लिए था, दूसरों
को सताने के लिए था। रावण पहाड़ उठाता था, वज़ तोड़ डालता था, दस आदमियों का बल मानो उस
अकेले में था। इसलिए उसके दस मुँह और बीस हाथ दिखाए गए। इतना बलवान होते हुए भी उसका सारा
बल धूल में मिल गया। हनुमान का बल अजर-अमर हो गया है। वाल्मीकि ने बल की ये दो मूर्तियों, ये दो
चित्र उपस्थित किए हैं। रावण के बल में भोग-वासना थी। रावण बल के द्वारा भोग प्राप्त करना चाहता था।
हनुमान बल के द्वारा सेवा करना चाहते थे। सेवा को अर्पण किया हुआ बल टिकेगा, अमर होगा। भोग को
अर्पण किया हुआ बल अपने और संसार के नाश का कारण होगा। बल मानसिक विचारों से प्रेरित है। मन में
दुर्विचार जन्म लेते हैं, तो बल के प्रयोग को सही दिशा नहीं मिलेगी। वह नाश करने के लिए और नाश
करवाने के लिए अग्रसर होगा। रावण की प्रवृत्ति दुर्विचारों से निर्मित हुई थी। दूसरी ओर हनुमान का आचरण
सद्वृत्तियों पर आधारित था। रावण की सोच नकारात्मक बनी और हनुमान की सोच सकारात्मक।
क. बाल्मीकि ने हनुमान जी के स्तुति-स्तोत्र क्यों गाए हैं।
ख. रावण का सारा बल धूल में क्यों मिल गया था?
ग. हनुमान जी का बल अजर-अमर क्यों हुआ?
घ. भोग को अर्पण किए हुए बल का क्या परिणाम निकलता है?​

Answers

Answered by joban95
6

Answer:

Hey Mate here is your answer

Explanation:

; क्योंकि हनुमान पुर्ण वेराग्ययुकत्त निका बल के पुतले थे

; क्योंकि रावण हा बलवा तो था

लेकिन उसमें वेराग्य नहीं था

; कयोंकि हनुमान बल के द्वारा सेवा

करना चाहते थे सेवा को अर्पण

किया हुआ बल टीकेगा , मर होगा

; भो को अर्पण किया हुआ बल अपने

था संसार के नाश का कारण होगा

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