1 : निम्नलिखित गद्याश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये (10)
लंबे सफर पर निकलते हुए घर मानो घेर लेता है और उससे लौटते हुये घर मानो खींचलेता है। फूल की तरह सुबह को घर खिलते हैं और सन्दूक की तरह रात में बंद हो जाते हैं। आराम है, तो घर में बीमारी है, तो घर में। रोजगार करते हैं, तो घर के लिए; बाहर दौड़ते है तो घर के लिए । आदमी की पहचान भी घर है। पति है,तो वह घरवाला है, पत्नी है तो वह घरवाली है। तबीयत खराब है तो घर में; नाराज हैं, तो घर के लोग। चर्चा चलती है, घर-घर निंदा होती है, तो घर-घर पूछते हैं -तुम्हारा घर कहाँ है? लोग कहते हैं- अब तो घर कर लो। निठल्ले हैं, तो घर बैठे हैं, काम-काजी हैं, तो घर भरने में लगे हैं। लोगों को घर-बार से फुरसत ही नहीं, मिलती । फिर जितना बड़ा घर उतनी बड़ी बातें । अपने घर की कौन कहेगा? घर तो बंधता ही है, लेकिन घर से सब बंधे रहते है |घर की फूट बुरी होती है और घर फोड़ने की बात अच्छी नहीं होती, फिर भी घर फूंक कर तमाशा देखने वाले भी घर में ही रहते है। ऐसा है यह घर । मालूम नहीं, सबसे पहले घर किसने बनाया था और क्यों बनाया था? धूप-सर्दी और हवा-पानी से बचने के लिये बनाया होगा |मैं तो समझता हूँ कि घर बनाने वाला पहला आदमी स्वर्ग और नरक दोनों देखकर दुनिया में आया होगा, मगर शायद ऐसा भी नहीं। घर बना, तो स्वर्ग भी बन गया और घर बिगड़ा तो नरक भी बन गया। प्यार -दुलार, एकता और संगठन है, तो घर स्वर्ग है। वैर-अविचार फूट और झगड़ा है, तो घर नरक है।
(क) 'लंबे सफर पर निकलते हुए घर मानो घेर लेता है और उससे लौटते हुये घर मानो खीच लेता है- वाक्य से
क्या तात्पर्य है?(2) (ख) 'फूल की तरह सुबह को घर खिलते हैं-वाक्य का अर्थ स्पष्ट करें । (2) (ग) 'सन्दूक की तरह रात में बन्द हो जाते हैं- इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए ।(2) (घ) घर स्वर्ग एवं नरक का रूप कब धारण कर लेता है ?(2) (ड) निम्नलिखित वाक्य को मिश्र वाक्य में बदलिये- (1) 'प्यार-दुलार , एकता और संगठन है , तो घर स्वर्ग है। (1) (च) प्रस्तुत गंद्याश का उचित शीर्षक लिखिए।
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kisi pad aakraman kar masti nahin hai kyunki
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