1. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
जहाँ तुम्ही कर्ता हो सारे ही कर्मों के,
जहाँ तुम्ही नेता हो सारे आनंदों के,
ऐसे आदर्शों को हे परम् पिता,
अपने हाथों से निर्भय साकार करो,
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