Hindi, asked by ramnarayangupta8959, 1 month ago

1. निम्नलिखित पद्यांशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए- 6) दीपक के जलने में आली, फिर भी है जीवन की लाली। किन्तु पतंग-भाग्य-लिपि काली किसका वश चलता है। दोनों ओर प्रेम पलता है। जगती वणिवृत्ति है रखती, उसे चाहती जिससे चखती काम नहीं, परिणाम मिरखती मुझे यही खलता है।​

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Answered by shishir303
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दीपक के जलने में आली, फिर भी है जीवन की लाली। किन्तु पतंग-भाग्य-लिपि काली किसका वश चलता है। दोनों ओर प्रेम पलता है। जगती वणिवृत्ति है रखती, उसे चाहती जिससे चखती काम नहीं, परिणाम मिरखती मुझे यही खलता है।​

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियां कवि मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित कविता दोनों ओर प्रेम पलता से ली गई हैं। इस पंक्तियों में उर्मिला अपनी सखी से अपने मन की व्यथा को कह रही है।

व्याख्या : उर्मिला कहती है कि वह दीपक महान है। उसके जलने की प्रक्रिया में कष्ट अधिक है, क्योंकि पतंगा तो जलकर भस्म हो जा रहा है लेकिन दीपक अपनी सारी जलन हृदय में समेटे जलता ही रहता है। यह बात अलग है वह स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश भी देता है। वह दूसरों के हित के लिए जल रहा है। पतंगा केवल अपने लिए जल रहा है। उर्मिला अपने दुख से दुखी है लेकिन लक्ष्मण लोकहित में कष्ट उठाने के लिए वन गये हैं। लक्ष्मण का त्याग अधिक महान है।

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