Hindi, asked by vminkook20, 1 month ago

1. नृत्य का पूर्ण परिचय देl
2.नृत्य की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से चर्चा करें l
3.नृत्य के इतिहास व विकास की अपने शब्दों में व्याख्या करेंl​

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Answered by triptideshwal04
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Answer:

भारतीय नृत्यकला: शास्त्रीय नृत्य का परिचय और प्रकार- अंग-प्रत्यंग एवं मनोभागों के साथ की गई गति को नृत्य कहा जाता है। यह सार्वभौम कला के साथ मानवीय अभिव्यक्ति का रसमय प्रदर्शन है। भरत मुनि (द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व) के 'नाट्य शास्त्र' को भारतीय नृत्यकला का प्रथम व प्रामाणिक ग्रंथ और पंचवेद उपनाम से भी जाना है।

यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। बालक जन्म लेते ही रोकर अपने हाथ पैर मार कर अपनी भावाभिव्यक्ति करता है कि वह भूखा है- इन्हीं आंगिक -क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यह कला देवी-देवताओं- दैत्य दानवों- मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों को अति प्रिय है।

नृत्य का इतिहास, मानव इतिहास जितना ही पुराना है। इसका का प्राचीनतम ग्रंथ भरत मुनि का नाट्यशास्त्र है। लेकिन इसके उल्लेख वेदों में भी मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि प्रागैतिहासिक काल में नृत्य की खोज हो चुकी थी। इस काल में मानव जंगलों में स्वतंत्र विचरता था। धीरे-धीरे उसने समूह में पानी के स्रोतों और शिकार बहुल क्षेत्र में टिक कर रहना आरंभ किया- उस समय उसकी सर्वप्रथम समस्या भोजन की होती थी- जिसकी पूर्ति के बाद वह हर्षोल्लास के साथ उछल कूद कर आग के चारों ओर नृत्य किया करते थे। ये मानव विपदाओं से भयभीत हो जाते थे- जिनके निराकरण हेतु इन्होंने किसी अदृश्य दैविक शक्ति का अनुमान लगाया होगा तथा उसे प्रसन्न करने हेतु अनेकों उपायों का सहारा लिया- इन उपायों में से मानव ने नृत्य को अराधना का प्रमुख साधन बनाया।

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