1.प्रकार्य की दृष्टि से प्रत्यय के कितने भेद किए जाते हैं? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए।
raffret
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जिन कृत्-प्रत्ययों के योग से बने संज्ञा-पदों से क्रिया के साधन का बोध होता है, उन्हें करणवाचक कृत्-प्रत्यय तथा इनसे बने शब्दों को करणवाचक कृदंत कहते हैं । करणवाचक कृदंत धातुओं के अंत में नी, अन, ना, अ, आनी, औटी, औना इत्यादि प्रत्यय जोड़ कर बनाये जाते हैं। जैसे- चलनी, करनी, झाड़न, बेलन, ओढना, ढकना, झाडू.
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