1. पूस की रात story in telugu
यथार्थवादी
आदि आपके प्रमुख उपन्यास है । आपकी कहानियाँ मानसरोवर बाम
से संकलित हैं।
कहानी का सारांश : हल्कू
रूपयों में से तीन रूपया बचाकर रखा था | कि ज़ाडों में एक कंबल
खरीद सके । लेकिन महाजन सहना के आने पर उसकी गालियों से
बचने केलिए वे रूपये उसे दे देता |
Answers
Explanation:
प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’ कोर्स में पढ़ी थी या नहीं, इसकी मुझे याद नहीं। लेकिन जब मैं आठवीं क्लास में पढ़ता था, सीतामढ़ी में सनातन धर्म पुस्तकालय में प्रेमचंद के अनेक कथा संकलन थे। मानसरोवर भी 8 भाग मेन था। उन्हीं में से किसी में पढ़ी थी यह कहानी।
तब मैं गांव में रहता था। सीतामढ़ी मेरा शहर था। मुझे याद है गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं। मेरी ड्यूटी आम के बगीचे में रखवाली की थी। सुबह से शाम गाछी में रहता था। ऐसे में किताबों का ही सहारा होता था। प्रेमचंद की कई कहानियां मैंने इसी तरह ड्यूटी करते हुए एक के बाद एक पढ़ी थीं।
कुछ दिनों पहले ‘दो बैलों की कथा’ कहानी पढ़ी थी। उनकी कहानी के बैलों हीरा-मोती से अपनापा महसूस हुआ था। उस कहानी से रिलेट भी करने लगा था। दो बैलों का जोड़ा मेरे दरवाज़े पर भी था। उस कहानी को पढ़कर बैलों से अलग तरह से लगाव महसूस हुआ था। प्रेमचंद से भी कि कोई ऐसा लेखक भी है जो हमारे घर दरवाज़े की कहानी लिख देता है। ‘पूस की रात’ कहानी पढ़ी तो किशोर मन में यह धारणा और मज़बूत हुई कि यह लेखक इंसान और पशुओं के रिश्ते को कितनी गहराई से समझता है। इस कहानी का नायक हल्कू और उसका कुत्ता जबरा मन में बस गया।