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1. पुष्प की अभिलाषा' कविता में पुष्प के द्वारा क्या अभिलाषा व्यक्त की गई है?
2. मातृभूमि से आप क्या समझते हैं ?
3. कविता में पुष्प किन-किन चीजों की चाह नहीं करता
4. मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
5. देवों के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर इठलाने से पुण क्यों बचना चाहता है ?
पाठसे आगे
1. पुष्ष के समान क्या आपकी भी कुछ अभिलाषाएँ हैं ? लिखिए।
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Explanation:
1) इस कविता का सारांश यह है कि , एक पुष्प जिसका प्राकृतिक इस्तेमाल , सुन्दर स्त्रियों पर सुशोभित होना , प्रेमिकाओं के गले की माला बनना , भगवानों की मूर्तियों पर चढ़ाया जाना और सम्राटों के शव पर डाला जाना है। वह पुष्प इस सब को छोड़ कर अपने आप को देश पर बलिदान होने वालों पर डालने के लिए माली से अपनी इच्छा प्रकट कर रहा है।
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Answer:
- इस कविता का सारांश यह है कि , एक पुष्प जिसका प्राकृतिक इस्तेमाल , सुन्दर स्त्रियों पर सुशोभित होना , प्रेमिकाओं के गले की माला बनना , भगवानों की मूर्तियों पर चढ़ाया जाना और सम्राटों के शव पर डाला जाना है। वह पुष्प इस सब को छोड़ कर अपने आप को देश पर बलिदान होने वालों पर डालने के लिए माली से अपनी इच्छा प्रकट कर रहा है।
- जन्म स्थान या अपने देश को मातृभूमि बोला जाता है। ... भारत और नेपाल में भूमि को माता के रूप में माना जाता है, जिस जमीन अथवा भूमि का अन्नादि खाते है उसे भी मातृभूमि कहते हैं।
- इस कविता का सारांश यह है कि , एक पुष्प जिसका प्राकृतिक इस्तेमाल , सुन्दर स्त्रियों पर सुशोभित होना , प्रेमिकाओं के गले की माला बनना , भगवानों की मूर्तियों पर चढ़ाया जाना और सम्राटों के शव पर डाला जाना है। वह पुष्प इस सब को छोड़ कर अपने आप को देश पर बलिदान होने वालों पर डालने के लिए माली से अपनी इच्छा प्रकट कर रहा है।
- हे वनमाली तुम मुझे तोड़कर उस राह में फेंक देना जहाँ शूरवीर मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना शीश चढाने जा रहे हों। मैं उन शूरवीरों के पैरों तले आकर खुद पर गर्व महसूस करूँगा।
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