Biology, asked by pintukumar6299646430, 3 months ago


1. पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन कैसे होता है? उदाहरणसहित स्पष्ट करें​

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Answered by Anonymous
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ज्यादातर पौधों के फूलों में ही नर और मादा प्रजनन अंग होते हैं। एक ही पुष्प में नर और मादा प्रजनन अंग होते हैं। ऐसे पुष्प नर और मादा युग्मक बनाकर निषेचन को सुनिश्चित करते हैं, ताकि पौधे के प्रजनन के लिए नए बीज तैयार हो सकें।

पौधों में लैंगिक प्रजनन के चरण

• पुष्प का नर अंग ‘पुंकेसर’ (Stamen) कहलाता है। यह पौधे के नर युग्मकों के बनने में मदद करता है और परागकणों (Pollen Grains) में पाया जाता है।

• पुष्प का मादा अंग ‘अंडप/ कार्पेल’ (carpel) कहलाता है। यह पौधे के मादा युग्मकों या अंड कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और बीजांड (Ovules) में पाया जाता है।

• नर युग्मक मादा युग्मक से निषेचन करता है।

• निषेचित अंड कोशिकाएं बीजांड (ovules) में विकसित होती हैं और बीज बन जाती हैं।

• अंकुरित होने पर ये बीज ही नए पौधे बनते हैं।

पुष्प के अलग–अलग भाग

• रेसप्टकल (Receptacle): यह पुष्प के तने या डंठल के ऊपर पाया जाने वाला पुष्प का आधार होता है। यह रेसप्टकल ही होता है, जिससे पुष्प के सभी भाग इससे जुड़े होते हैं।

• बाह्यदल (Sepals): ये हरे पत्ते जैसे भाग होते हैं, जो पुष्प के सबसे बाहरी हिस्से में मौजूद रहते हैं। पुष्प जब कली के रूप में होता है, तब बाह्यदल उसकी रक्षा करते हैं। पुष्प के सभी बाह्यदलों को एक साथ बाह्यदल पुंज (Calyx) कहते हैं।

• पंखुड़ियां (Petals): पंखुड़ियां पुष्पों की रंगीन पत्तियां होती हैं। एक पुष्प की सभी पंखुड़ियों को दलपुंज (Corolla) कहते हैं। फूलों की पंखुड़ियों में खुशबू होती है और परागण के लिए वे कीटों को आकर्षित करते हैं। इनका काम पुष्प के मध्य भाग में उपस्थित प्रजनन अंगों की रक्षा करना है।

• पुंकेसर (Stamen): पुंकेसर पौधे का नर प्रजनन अंग होता है। ये पंखुड़ियों के छल्ले के भीतर उपस्थित होते हैं और फूले हुए ऊपरी हिस्सों के साथ इनमें थोड़ी डंठल होती है। पुंकेसर दो हिस्सों से बना होता है – ‘परागकोष’ (Anther) और ‘तंतु’ (Filament)। पुंकेसर का डंठल ‘तंतु’ कहलाता है और फूला हुआ ऊपरी हिस्सा ‘परागकोष’। पुंकेसर का परागकोष परागकण उत्पन्न करता है और उन्हें अपने भीतर रखता है। परागकणों में पौधे के नर युग्मक पाये जाते हैं। एक पुष्प में बहुत सारे पुंकेसर होते हैं।

• अंडप/कार्पेल (Carpel): अंडप मादा प्रजनन अंग है और पौधे के मध्य में पाया जाता है। अंडप का आकार सुराही (flask) जैसा होता है और यह तीन हिस्सों से बना होता है– स्टिग्मा (Stigma), वर्तिका (Style) और अंडाशय (Ovary)। अंडप के शीर्ष हिस्से को ‘स्टिग्मा’ कहा जाता है। यह चिपचिपा होता है और पुंकेसर के परागकोष से परागकण प्राप्त करता है। परागकण स्टिग्मा से चिपक जाते हैं। अंडप का मध्य भाग ‘वर्तिका’ (style) कहलाता है। वर्तिका एक नली है जो स्टिग्मा को अंडाशय से जोड़ती है। अंडप का निचला हिस्सा, जो फूला हुआ होता है, ‘अंडाशय’ कहलाता है। यहीं पर बीजांड बनाए और रखे जाते हैं।

कई पुष्प एकलिंगी भी होते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उनमें या तो ‘पुंकेसर’ होता है या ‘अंडप’। पपीता और तरबूज के पुष्प एकलिंगी पुष्पों के उदाहरण हैं। वैसे पुष्प जिनमें नर और मादा, दोनों ही प्रकार के यौन अंग पाए जाते हैं, ‘द्विलिंगी पुष्प’ कहलाते हैं। गुड़हल (Hibiscus) और सरसो के पौधे द्विलिंगी पुष्प के उदाहरण हैं।

नए बीज बनाने के क्रम में परागगण में मौजूद नर युग्मक बीजाणु में मौजूद मादा युग्मकों से मिलते हैं। यह प्रक्रिया दो चरणों में होती है

• परागण

• निषेचन

परागण

परागण दो प्रकार के होते हैं– स्व–परागण (Self-Pollination ) और संकर–परागण (Cross-Pollination)। जब एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के स्टिग्मा या उसी पौधे के दूसरे पुष्प के स्टिग्मा तक ले जाए जाते हैं, तो इसे ‘स्व–परागण’ कहते हैं। जब एक पौधे के पुष्प के परागकण को उसी के जैसे दूसरे पौधे के पुष्प के स्टिग्मा तक ले जाया जाता है, तो उसे ‘संकर–परागण’ (Cross-Pollination) कहते हैं।

परागण में कीट मदद करते हैं। जब कोई कीट एक पौधे के पुष्प पर पराग को पीने के लिए बैठता है तो दूसरे का परागकण उसके शरीर से चिपक जाता है। अब, जब यह कीट उड़ता है और ऐसे ही किसी दूसरे पौधे के पुष्प पर जा कर बैठ जाता है, तब परागकण एक जगह से दूसरी जगह पहुँच जाते हैं और दूसरे पौधे के पुष्प के स्टिग्मा से चिपक जाते हैं। इस प्रकार कीट संकर–परागण (Cross-Pollination) में मदद करते हैं। हवा भी संकर–परागण (Cross-Pollination) में मदद करती है।

निषेचन

परागण के बाद अगला चरण होता है-निषेचन। इस चरण में, परागकणों में उपस्थित नर युग्मक बीजाणु में मौजूद मादा युग्मकों से मिलते हैं।

जब परागकण स्टिग्मा पर गिरते हैं तो फट जाते हैं और खुलकर विकसित पराग नली में पहुँच जाते हैं। यह पराग नली वर्तिका से होकर अंडाशय की तरफ बढ़ती है और बीजाणु में प्रवेश करती है। नर युग्मक पराग नली में जाते हैं। पराग नली का ऊपरी सिरा फटता है, बीजाणु में खुल जाता है और नर युग्मक बाहर निकल आते हैं। बीजाणु में, नर युग्मक मादा युग्मक के केंद्रक से मिलते हैं और निषेचित अंडे बनते हैं। यह निषेचित अंडा ‘युग्मनज’ (Zygote) कहलाता है।

फलों और बीजों का बनना

बीजाणु में, निषेचित अंडा कई बार विभाजित होता है और भ्रूण बनाता है। बीजाणु के चारो तरफ कठोर परत बन जाती है और धीरे–धीरे यह बीज में विकसित हो जाता है। पुष्प का अंडाशय विकसित होकर फल का रूप लेता है, जिसके भीतर बीज होते हैं। फूलों के अन्य हिस्से जैसे बाह्यदल, पुंकेसर, स्टिग्मा और वर्तिका सूखकर गिर जाते हैं। फूलों की जगह फल ले लेते हैं। बीजों की रक्षा फल करते हैं। कुछ फल मुलायम और रसीले होते हैं, जबकि कुछ फल कठोर और सूखे होते हैं।

बीजों का अंकुरण

पौधे से मिला बीज सूखा और निष्क्रिए अवस्था में होता है। जब उन्हें पानी, हवा, मिट्टी आदि मिलती है, तभी वे नए पौधे के रूप में विकसित होना शुरु करते हैं। एक बीज के विकास की शुरुआत ‘बीजों का अंकुरण’ कहलाता है।

❤Sweetheart❤

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Answered by MotiSani
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पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन निम्न प्रकार से होता है:

  • फूल वाले पौधे, जिन्हें एंजियोस्पर्म भी कहा जाता है, लैंगिक प्रजनन करते हैं।
  • फूल, जिसमें नर और मादा दोनों युग्मक होते हैं, पौधे के प्रजनन का प्राथमिक स्थल है।
  • हालांकि कुछ खिलने वाले घटक बाँझ होते हैं, वे सभी प्रजनन प्रक्रिया में योगदान करते हैं।
  • नर युग्मक परागकोश में परागकणों द्वारा निर्मित होते हैं।
  • स्त्रीकेसर कलंक, शैली और अंडाशय से बना होता है।
  • अंडाशय में एक या अधिक अंडाणु होते हैं।
  • मादा युग्मक या अंडाणु एक बीजांड में निर्मित होता है। जब एक नर और मादा युग्मक लैंगिक जनन में शामिल होते हैं, तो एक युग्मनज बनता है।
  • उदाहरण: मकई, पपीता और ककड़ी एकलिंगी फूल पैदा करते हैं, जबकि सरसों, गुलाब और पेटुनिया में उभयलिंगी फूल होते हैं।
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