1. समाज में अमीर-गरीब के भेदभाव पर चर्चा कीजिए और बताइए कि निर्धन-वर्ग के विकास के लिए
क्या-क्या किया जा रहा है?
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भारत में धन बढ़ता जा रहा है लेकिन अमीर और गरीब के बीच भेदभाव में वृद्धि भी हो रही है। ऐसा मालूम होता है कि भारत गरीबी के समुद्र में समृद्धि का द्वीप बन गया है। वैश्विक धन का जवाब और विश्लेषण करने वाली समिति ने बताया है कि भारत में 96 प्रतिशत विकास युवाओं पर निर्भर करता है। जबकि 86 प्रतिशत धन का चलन संपत्ति और अचल संपत्ति क्षेत्र में है। ग्लोबल सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2016 तक स्थानीय मुद्रा के उपयोग में 51 प्रतिशत तक वृद्धि हो गई है लेकिन अचानक नोटों के विनिमय की वजह से घरेलू आय 0.8 फीसदी तक घट गया है।
जो डॉलर में 3 टरलैं हुई है जबकि एक युवक की वार्षिक विकास दर वर्ष 2000 और 2016 के बीच करीब 6 प्रतिशत रही। भारत में धन का अंबार बढ़ता जा रहा है लेकिन युवाओं के बहुमत कुंठा जीवन गुज़ार रही है जिनकी आय 10 हजार से भी कम है। दिलचस्प बात यह है कि भारत में करोड़पति लोगों 973 बिलियन धन के साथ 1.78 लाख फ्लैट में रहते हैं तो दोलतयों में 5.2 प्रतिशत से 2,260 की वृद्धि हुई है जो 1,040 लोगों की धन 100 मिलियन डॉलर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 5 साल में करोड़पति लोगों 2.8 लाख (9.5 प्रतिशत) तक पहुंच जाएगा। इस बीच भारत में व्यक्तिगत कर्ज़ अधिकारियों की संख्या 9 प्रतिशत तक हो गई है कि विकसित देशों की तुलना बेहद कम है। जबकि वर्ष 2016 में आर्थिक विकास सीमित रही हालांकि 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट से पहले विकास में गिरावट निकाला था लेकिन वर्ष 2013 से विकास की प्रवृत्ति मजबूत होने लगा।
साल 2016 में वैश्विक धन 14 प्रतिशत या 3.5 डॉलर था और वैश्विक युवाओं की आबादी के अनुसार यह धन 256 पहुंच गया है।
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