Hindi, asked by tanvigoryan81, 5 months ago

1. द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनको मित्रता और शत्रुता की कथा
महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।
2. उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन
माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए
सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।​

Answers

Answered by neha42476
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Answer:

1) सुदामा निर्धन थे तथा श्रीकृष्ण राजा थे। उसी प्रकार महाराज द्रुपद तथा गुरू द्रोणाचार्य भी आश्रम में एक ही साथ शिक्षा ग्रहण करते थे तथा परम मित्र थे। सुदामा के द्वारका जाने पर श्रीकृष्ण ने उनका आदर-सत्कार किया था। परन्तु गुरू द्रोणाचार्य के अपने मित्र राजा द्रुपद के पास जाने पर राजा द्रुपद ने उनका अपमान किया और महाभारत के युद्ध में एक दूसरे के विपरीत युद्ध करके दुश्मनी का परिचय दिया।

2) यह पूर्णता सत्य है कि आज के युग में व्यक्ति उच्च पद पर पहुंचकर या अधिक समृद्ध होकर अपने माता-पिता, संबंधियों से नजरें फेर लेता है। ऐसे लोग समाज में स्वार्थी कहलाते हैं। ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित्र कविता एक चुनौती की तरह है। यह कविता बताती है कि धन संपदा और ऐश्वर्य मिलने के बाद भी व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए।

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