1] दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए |
आप शुद्ध ह्रदय से इस बात पर विचार करें की माता, मातृभूमि और मातृभाषा का
आप पर भी ऋण है | एक जननी आपको जन्म देती है, एक की गोद में खेल-कूदकर और
खा-पीकर आप पुष्ट होते हैं और एक आपको अपने भावों को प्रकट करने की शक्ति देकर
आपके सांसरिक जीवन को सुखमय बनाती है, जिसका आप पर इतना उपकार है, उसके
लिए
कुछ करना क्या आपका परम कर्तव्य नहीं है ?
प्यारे भाइयों, उठो ! आलस्य छोड़ो, काम करो और अपनी मातृभाषा की सेवा में
तत्पर हो जाओ, इस व्रत का पालन करना तलवार की धार पर चलने के समान है ।
आज अधिकांश भारतवासी अपनी मातृभाषा की उपेक्षा करते हैं | वे अंग्रेजी बोलकर
अपने अहंकार तथा दूषित मनोवृति का परिचय देते हैं | जो अपनी मातृभाषा का तिरस्कार
करता है, उसे कभी देशभक्त नहीं कहा जा सकता।
प्रश्न:
(1) हम पर किस-किस का ऋण है ?
(2) माता का ऋण हमें क्यों अदा करना चाहिए ?
(3) किस व्रत का पालन करना अत्यंत कठिन हैं ?
(4) किसे देशभक्त नहीं कहा जा सकता ?
(5) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए |
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- माता, मातृभूमि और मातृभाषा का हम पर ऋण है।
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