Hindi, asked by ishita2582, 1 year ago

1. यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्र
त स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम।
लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति।।​

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Answered by shishir303
163

यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं, तस्य करोति किम।

लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति।।​

भावार्थ — जिसके पास अपनी बुद्धि नहीं है, अपना विवेक नहीं है, उसकी कोई शास्त्र भी भला क्या सहायता कर सकता है। ये बिल्कुल उसी प्रकार है जैसे अंधे व्यक्ति के लिए दर्पण कुछ नहीं कर सकता। दर्पण अंधे व्यक्ति के लिये अनुपयोगी है। उसी प्रकार विवेकहीन, अज्ञानी, बुद्धिहीन व्यक्तियों के लिए हर तरह का शास्त्र भी अनुपयोगी है।

Answered by ujjwalmishra302
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