1.यदि आप दत्ता जी राव के स्थान पर होते तो लेखक की मदद कैसे करते
2.भक्तिन का दुर्भाग्य भी उससे कम हटी नहीं था कैसे स्पष्ट कीजिए
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उत्तर 1:- यदि मैं दत्ताजी राव के स्थान पर होता तो मैं लेखक के दादा जी से बात करता । उनसे कहता कि वे लेखक से खेतों पर काम करवाने की बजाय उसे पढ़ाई के लिए विद्यालय भेजें।
उत्तर 2:- भक्तिन ने अपने पति की असामियिक मृत्यु के बाद बड़े दामाद को घरजवाई बना लिया था । परंतु कुछ समय बाद दामाद की मृत्यु हो गई । तब उसके बड़े जिठोते ने अपने तितरबाज साले को बुलाया और षड़यंत्र रचकर भक्तिन की अनुपस्थिति में उसे विधवा लड़की के साथ कोठरी में बंद करा दिया । तब पंचायत ने जो निर्णय दिया , उस कारन उसे दामाद मनना पड़ा । धीरे - धीरे सम्पति जाती रही और समय पर लगान न चुका पाने से ज़मीदार द्वारा अपमानित होना पड़ा । उस प्रकार भक्तिन का दुर्भाग्य उसके साथ हठपूर्वक लगा रहा।
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