1. ज़रूरत ये ज्यादा बोलने के क्या. परिणाम हो सकते हैं? बताइए।
2. बातचीत या बोलना भी एक कला है-इस विषय पर अपने विचार
बताइए।
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आपके प्रश्नों के उत्तर
Explanation:
- जरूरत से ज्यादा बोलना बहुत अधिक हानिकारक है , जिस प्रकार वर्षा का जल बहुत लाभदायक होता है लेकिन ज्यादा वर्षा के वजह से बाढ़ आ जाती है और तमाम प्रकार के जन-धन की हानि होती है , ठीक इसी प्रकार अधिक बोलना भी बहुत हानिकारक होता है ।
अति का भला न बोलना , अति की भली न धूप ।
अति का भला न बोलना , अति की भली न धूप ।अति का भला न बरसना , अति की भली न चूप।।
answer:::::☺️
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप, अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप। अर्थ : न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है. जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है.
kavaikavi ke anusar Na to adhik bolna achcha hai na hi jarurat se jyada chup rahana theek hai bahut adhik varsha bhi acchi nahin hai aur bahut adhik dhup bha achcha nhi hain kunki yadi Ham adhik bolate Hain to to Koi hamari baat ko mahatva nahin dega aur agar Ham adhik chup rahenge to log hamen nahin samajh sakenge yadi adhik dhup hoti hai to log bimar pad jaate Hain tabhi ke kahane ka arth hai ki kisi chij ko adhikar achcha acchi nahin hoti