10 points about goa church in hindi
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सेंट फ्रांसिस जेवियर, संत से पहले एक सिपाही थे। वे इग्नाटियस लोयोला के स्टूडेंट थे। बता दें कि इग्नाटियस ने 'सोसाइटी ऑफ जीसस' नाम की धार्मिक संस्था शुरू की थी।
- पुर्तगाल के राजा जॉन थर्ड और उस वक्त के पोप ने जेसुइट मिशनरी बनाकर फ्रांसिस जेवियर को धर्म के प्रचार के लिए भारत भेजा था।
- उन्होंने भारत समेत चीन, जापान के कई लोगों को ईसाई धर्म में दीक्षा दी।
- उनकी मृत्यु चीन की एक समुद्र यात्रा के दौरान हुई थी।
तीन बार दफनाने के बाद भी ताजा अवस्था में थी बॉडी
ऐसा कहा जाता है कि जेवियर ने मृत्यु से पहले शिष्यों को उनका शव गोवा में दफनाने को कहा था। जिसके बाद फ्रांसिस जेवियर की इच्छा के मुताबिक उनका पार्थिव गोवा में दफनाया गया, लेकिन कुछ सालों बाद रोम से आए संतों के डेलिगेशन ने उनके शव को कब्र से बाहर निकालकर फ्रांसिस जेवियर चर्च में दोबारा दफनाया। ऐसा कहा जाता है कि कुल तीन बार उनके शव को दफनाया गया। पर हर बार संत का शरीर उसी ताजा अवस्था में था, जैसा उन्हें पहले दफनाया गया था।
अपने आप अलग हो गया था हाथ, सुई चुभाई तो निकला खून
संत की बॉडी को लेकर यह कहानी प्रचलित है कि मृत्यु के पहले उन्होंने अपना हाथ दिव्य शक्तियों के जरिए शरीर से अलग किया था। यह हाथ उन्होंने अपनी पहचान के तौर पर रोम से आने वाले संतों के डेलिगेशन के लिए रखा था। इसके साथ उन्होंने एक चिट्ठी भी शिष्यों को दी थी। आज भी यह अलग हुआ हाथ चर्च में ही मौजूद है। ऐसी कहानी भी प्रचलित है कि एक महिला ने सेंट फ्रांसिस जेवियर की डेड बॉडी के पैर पर सुई चुभोई तो उसमें से खून निकला। यह खून भी तब निकला जब उनकी बॉडी को सूखे सैकड़ों साल हो गए थे।
हर 10 साल में होते हैं दर्शन...
सेंट फ्रांसिस जेवियर की डेड बॉडी आज भी बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस के चर्च में रखी है। गोवा के जर्नलिस्ट फ्रेडी अल्मेडा के मुताबिक, हर 10 साल में ये बॉडी दर्शन के लिए रखी जाती है। 2014 में आखिरी बार इस बॉडी को दर्शन के लिए निकाला गया था। बॉडी को कांच के एक ताबूत में रखा गया है। आज भी ये बॉडी सड़ी नहीं है।
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