10.'उत्प्रेक्षा' अथवा 'श्लेष अलंकार का उदाहरण स्पष्टीकरण के साथ लिखिए।
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1. उत्प्रेक्षा अलंकार
सिर फट गया उसका वही मानो अरुण रंग का घड़ा
इस काव्य पंक्ति में कहा गया है कि एक व्यक्ति का सर खड़े - खड़े फट गया ओर इतना ख़ून बहा कि ऐसा लग रहा था कि कोई लाल रंग का मटका फूट गया हो।
2. श्लेष अलंकार
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।
यहाँ रहीम जी कहते हैं कि हे मनुष्य, तू पानी को बचा के रख क्योंकि पानी के बिना सब सूना है। यदि सीप के मुँह में पानी नहीं जाएगा, तो सुच्चा मोती नहीं बनेगा। यदि मनुष्य के आँखों में पानी [शर्म] नहीं होगा तो उसकी इज़्ज़त ख़त्म हो जाएगी। और यदि पत्थर में पानी नहीं मिलेगा तो चूना नहीं बन पाएगा।
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