India Languages, asked by devanshr548, 2 months ago

11.Complete the sloka:
कर्तव्यमाचरन् ______ स तु आर्य इति स्मृतः।।​

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Answered by SAMYAKMAHINDRAKAR
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Answer:

भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर वरांगना । विभवो दानशक्तिश्च नाऽल्पस्य तपसः फलम् ॥

भावार्थ :

भोज्य पदाथ, भोजन-शक्ति, रतिशक्ति, सुन्दर स्त्री, वैभव तथा दान-शक्ति, ये सब सुख किसी अल्प तपस्या का फल नहीं होते ।

यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी। विभवे यस्य सन्तुष्टिस्तस्य स्वर्ग इहैव हि ॥

भावार्थ :

जिसका पुत्र वशीभूत हो, पत्नी वेदों के मार्ग पर चलने वाली हो और जो वैभव से सन्तुष्ट हो, उसके लिए यहीं स्वर्ग है ।

ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः सः पिता यस्तु पोषकः। तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या या निवृतिः ॥

भावार्थ :

पुत्र वही है, जो पिता का भक्त है । पिता वही है,जो पोषक है, मित्र वही है, जो विश्वासपात्र हो । पत्नी वही है, जो हृदय को आनन्दित करे ।

कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्ट च खलु यौवनम्। कष्टात्कष्टतरं चैव परगृहेनिवासनम् ॥

भावार्थ :

मूर्खता कष्ट है, यौवन भी कष्ट है, किन्तु दूसरों के घर में रहना कष्टों का भी कष्ट है ।

माता शत्रुः पिता वैरी येनवालो न पाठितः। न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा ॥

भावार्थ :

बच्चे को न पढ़ानेवाली माता शत्रु तथा पिता वैरी के समान होते हैं । बिना पढ़ा व्यक्ति पढ़े लोगों के बीच में कौए के समान शोभा नहीं पता ।

परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्। वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥

भावार्थ :

पीठ पीछे काम बिगाड़नेवाले था सामने प्रिय बोलने वाले ऐसे मित्र को मुंह पर दूध रखे हुए विष के घड़े के समान त्याग देना चाहिए ।

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