Hindi, asked by kajlabatajaogesundar, 4 months ago

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पद्यांश की दूसरी पंक्ति में कौन-कौनसाअलंकारहै?​

Answers

Answered by itzcutejatni
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Answer:

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Explanation:

Answer:

(2) अरुण यह मधुमय देश हमारा।

जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।

सरस तामरस गर्भ विभा परं-नाच रही तरु शिखा मनोहर।

छिटका जीवन हरियाली पर-मंगल कुंकुम सारा।

लघु सुरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे।

उड़ते खग जिस ओर मुँह किये-समझ नीड़ निज प्यारा।

बरसाती आँखों के बादल-बनते जहाँ भरे करुणा जल।

लहरें टकराती अनंत की-पाकर जहाँ किनारा।

हेम-कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे ।

मदिर ऊँघते रहते-जब-जगकर रजनी भर तारा।

प्रश्न

(क) प्रस्तुत काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।

(ख) इस काव्यांश में भारत देश की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?

(ग) “हेम-कुंभ’ में प्रयुक्त अलंकार का नाम व लक्षण लिखिए।

(घ) “छिटका जीवन हरियाली पर मंगल कुंकुम सारा’-का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

(क) काव्यांश का उचित शीर्षक – ‘मधुमय देश हमारा।’

(ख) भारत सब के प्रति मधुर व्यवहार करने वालों का देश है। यहाँ अपरिचित विदेशियों को भी सहारा मिलता है। भारत की प्रकृति अत्यन्त मनोहर है। मनुष्य ही नहीं पक्षी भी इस देश को अपना निवास मानकर प्यार करते। हैं। भारत में बादल करुणा का जल बरसाते हैं। यहाँ का प्रभातकालीन सौन्दर्य अनुपम होता है।

(ग) “हेम-कुंभ’ में रूपकातिशयोक्ति अलंकार है। लक्षण-जहाँ कवि किसी दृश्य अथवा वस्तु का वर्णन करने में केवल उपमानों का आश्रय लेता है, वहाँ ‘रूपकातिशयोक्ति अलंकार होता है। इस पंक्ति में ‘हेम कुंभ’ प्रात:काल के सुनहरे सूर्य के लिए प्रयुक्त हुआ है। (घ) प्रात:कालीन सूर्य की धूप हरे-भरे मैदानों पर पड़ रही है। प्रात:काल का सूर्योदय नवजीवन, आशा, उल्लास

और सफलता का सूचक है। ऐसा लगता है कि उषा ने सूर्य-किरणों की रोली जीवन-जगत पर छिड़ककर मंगलकारी काम किया है।

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