12. सिंह, गुप्ता और खान के एक फर्म में साझेदार हैं। लाभ का विभाजन 3:2:3 के अनुपात में करते
हैं। वे जैन को साझेदारी में प्रवेश देते हैं। सिंह अपने भाग का 1/3 भाग, गुप्ता अपने भाग का 1/4
भाग और खान अपने भाग का 1/5 भाग जैन के पक्ष में त्याग करता है। नए लाभ विभाजन अनुपात
की गणना कीजिए।
(NCERT
[उत्तर-20: 15:24:21]
Singh, Gupta and Khan are partners' in a firm sharing profit in 3:2:3 ratio.
They admitted Jain as a new partner. Singh surrendered 1/3 of his share, Gupta
surrendered 1/4 of his share and Khan surrendered 1/5 of his share in favour of
Jain. Calculate new profit sharing ratio.
Answers
Answer:
सामान्यतः साझेदारी फर्म का पुनर्गठन निम्न में से किसी एक स्थिति में होता है
नए साझेदार का प्रवेश : जब किसी फर्म को अतिरिक्त पूँजी या प्रबंधकीय सहायता की आवश्यकता पड़ती है तो एक नए साझेदार को प्रवेश दिया जा सकता है।
Explanation:
साझेदारी अधिनियम 1932 के प्रावधानों के अनुसार किसी व्यक्ति को साझेदारी फर्म में सभी वर्तमान साझेदारों की स्वीकृति पर ही प्रवेश मिल सकता है, जब तक कि इसके विपरीत कोई समझौता नहीं हुआ हो। उदाहरण के लिए, हरी और हक साझेदार हैं तथा उनका लाभ विभाजन अनुपात 3:2 है। वह 01 अप्रैल, 2017 को फर्म के लाभों में 1/6 भाग के लिए जॉन को नए साझेदार के रूप में प्रवेश देते हैं। इस परिवर्तन के कारण फर्म में तीन साझेदार होंगे तथा फर्म पुनर्गठित होगी।
विद्यमान साझेदारों के मध्य लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन : कभी-कभी साझेदार अपने वर्तमान लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन करने का निर्णय लेते हैं। इस कारण विद्यमान साझेदारों के भाग में परिवर्तन हो सकता है। उदाहरण के लिए, राम, मोहन और सोहन फर्म के लाभों का विभाजन 3 : 2 : 1 के अनुपात में करते हुए साझेदार हैं। 01 अप्रैल, 2017 से सोहन द्वारा अतिरिक्त पूँजी लाए जाने के कारण वह लाभों का विभाजन समान रूप से करने का निणर्य लेते हैं, जिसके फलस्वरूप वर्तमान समझौते में परिवर्तन होगा तथा फर्म पुनर्गठित होगी।
विद्यमान साझेदार की सेवानिवृत्ति : साझेदार की सेवानिवृत्ति से आशय एक साझेदार द्वारा फर्म के व्यवसाय से, उसके अस्वस्थ होने, अधिक आयु होने तथा व्यवसाय में रुचि परिवर्तन के कारण व्यवसाय से बाहर निकल जाने से है। यदि साझेदारी एेच्छिक है तो एक साझेदार किसी भी समय सेवानिवृत्त हो सकता है। उदाहरण के लिए, राय, रवि और राव फर्म में लाभों का विभाजन 2 : 2 : 1 के अनुपात में करते हुए साझेदार हैं। अस्वस्थ होने के कारण, 31 मार्च, 2017 को रवि सेवानिवृत्त होता है। परिणामस्वरूप पुनर्गठित साझेदारी फर्म में अब केवल दो साझेदार रह जाएेंगे।
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सामान्यतः साझेदारी फर्म का पुनर्गठन निम्न में से किसी एक स्थिति में होता है
नए साझेदार का प्रवेश : जब किसी फर्म को अतिरिक्त पूँजी या प्रबंधकीय सहायता की आवश्यकता पड़ती है तो एक नए साझेदार को प्रवेश दिया जा सकता है।
Explanation:
साझेदारी अधिनियम 1932 के प्रावधानों के अनुसार किसी व्यक्ति को साझेदारी फर्म में सभी वर्तमान साझेदारों की स्वीकृति पर ही प्रवेश मिल सकता है, जब तक कि इसके विपरीत कोई समझौता नहीं हुआ हो। उदाहरण के लिए, हरी और हक साझेदार हैं तथा उनका लाभ विभाजन अनुपात 3:2 है। वह 01 अप्रैल, 2017 को फर्म के लाभों में 1/6 भाग के लिए जॉन को नए साझेदार के रूप में प्रवेश देते हैं। इस परिवर्तन के कारण फर्म में तीन साझेदार होंगे तथा फर्म पुनर्गठित होगी।
विद्यमान साझेदारों के मध्य लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन : कभी-कभी साझेदार अपने वर्तमान लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन करने का निर्णय लेते हैं। इस कारण विद्यमान साझेदारों के भाग में परिवर्तन हो सकता है। उदाहरण के लिए, राम, मोहन और सोहन फर्म के लाभों का विभाजन 3 : 2 : 1 के अनुपात में करते हुए साझेदार हैं। 01 अप्रैल, 2017 से सोहन द्वारा अतिरिक्त पूँजी लाए जाने के कारण वह लाभों का विभाजन समान रूप से करने का निणर्य लेते हैं, जिसके फलस्वरूप वर्तमान समझौते में परिवर्तन होगा तथा फर्म पुनर्गठित होगी।
विद्यमान साझेदार की सेवानिवृत्ति : साझेदार की सेवानिवृत्ति से आशय एक साझेदार द्वारा फर्म के व्यवसाय से, उसके अस्वस्थ होने, अधिक आयु होने तथा व्यवसाय में रुचि परिवर्तन के कारण व्यवसाय से बाहर निकल जाने से है। यदि साझेदारी एेच्छिक है तो एक साझेदार किसी भी समय सेवानिवृत्त हो सकता है। उदाहरण के लिए, राय, रवि और राव फर्म में लाभों का विभाजन 2 : 2 : 1 के अनुपात में करते हुए साझेदार हैं। अस्वस्थ होने के कारण, 31 मार्च, 2017 को रवि सेवानिवृत्त होता है। परिणामस्वरूप पुनर्गठित साझेदारी फर्म में अब केवल दो साझेदार रह जाएेंगे।
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सामान्यतः साझेदारी फर्म का पुनर्गठन निम्न में से किसी एक स्थिति में होता है
नए साझेदार का प्रवेश : जब किसी फर्म को अतिरिक्त पूँजी या प्रबंधकीय सहायता की आवश्यकता पड़ती है तो एक नए साझेदार को प्रवेश दिया जा सकता है।
Explanation:
साझेदारी अधिनियम 1932 के प्रावधानों के अनुसार किसी व्यक्ति को साझेदारी फर्म में सभी वर्तमान साझेदारों की स्वीकृति पर ही प्रवेश मिल सकता है, जब तक कि इसके विपरीत कोई समझौता नहीं हुआ हो। उदाहरण के लिए, हरी और हक साझेदार हैं तथा उनका लाभ विभाजन अनुपात 3:2 है। वह 01 अप्रैल, 2017 को फर्म के लाभों में 1/6 भाग के लिए जॉन को नए साझेदार के रूप में प्रवेश देते हैं। इस परिवर्तन के कारण फर्म में तीन साझेदार होंगे तथा फर्म पुनर्गठित होगी।
विद्यमान साझेदारों के मध्य लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन : कभी-कभी साझेदार अपने वर्तमान लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन करने का निर्णय लेते हैं। इस कारण विद्यमान साझेदारों के भाग में परिवर्तन हो सकता है। उदाहरण के लिए, राम, मोहन और सोहन फर्म के लाभों का विभाजन 3 : 2 : 1 के अनुपात में करते हुए साझेदार हैं। 01 अप्रैल, 2017 से सोहन द्वारा अतिरिक्त पूँजी लाए जाने के कारण वह लाभों का विभाजन समान रूप से करने का निणर्य लेते हैं, जिसके फलस्वरूप वर्तमान समझौते में परिवर्तन होगा तथा फर्म पुनर्गठित होगी।
विद्यमान साझेदार की सेवानिवृत्ति : साझेदार की सेवानिवृत्ति से आशय एक साझेदार द्वारा फर्म के व्यवसाय से, उसके अस्वस्थ होने, अधिक आयु होने तथा व्यवसाय में रुचि परिवर्तन के कारण व्यवसाय से बाहर निकल जाने से है। यदि साझेदारी एेच्छिक है तो एक साझेदार किसी भी समय सेवानिवृत्त हो सकता है। उदाहरण के लिए, राय, रवि और राव फर्म में लाभों का विभाजन 2 : 2 : 1 के अनुपात में करते हुए साझेदार हैं। अस्वस्थ होने के कारण, 31 मार्च, 2017 को रवि सेवानिवृत्त होता है। परिणामस्वरूप पुनर्गठित साझेदारी फर्म में अब केवल दो साझेदार रह जाएेंगे।
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