120-150 words speech on say no to plastic and yes to environment in Hindi
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पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हैं जिनमें प्लास्टिक एक बहुत बड़ा खतरा बनकर उभरा है। दिन की शुरूआत से लेकर रात में बिस्तर में जाने तक अगर ध्यान से गौर किया जाए तो आप पाएंगे कि प्लास्टिक ने किसी न किसी रूप में आपके हर पल पर कब्जा कर रखा है। प्लास्टिक नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल होता है। नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल ऐसे पदार्थ होते हैं जो बैक्टीरिया के द्वारा ऐसी अवस्था में नहीं पहुंच पाते जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। कचरे की रिसायकलिंग बेहद जरूरी है क्योंकि प्लास्टिक की एक छोटी सी पोलिथिन को भी पूरी तरह से छोटे पार्टिकल्स में तब्दील होने में हजारों सालों का समय लगता है और इतने ही साल लगते हैं प्लास्टिक की एक छोटी सी पोलिथिन को गायब होने में। कुछ विकसित देशों में प्लास्टिक के रूप में निकला कचरा फेंकने के लिए खास केन जगह जगह रखी जाती हैं। इन केन में नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल कचरा ही डाला जाता है। असलियत में छोटे से छोटा प्लास्टिक भले ही वह चॉकलेट का कवर ही क्यों न हो बहुत सावधानी से फेंका जाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक को फेंकना और जलाना दोनों ही समान रूप से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक जलाने पर भारी मात्रा में केमिकल उत्सर्जन होता है जो सांस लेने पर शरीर में प्रवेश कर श्वसन प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसे जमीन में फेंका जाए या गाड़ दिया जाए या पानी में फेंक दिया जाए, इसके हानिकारक प्रभाव कम नहीं होते। प्लास्टिक बैग्स से होने वाले पर्यावरण को नुकसान को कम करने की दिशा में हर एक इंसान कुछ बेहद जरूरी कदम उठा सकता है। सतर्कता और जागरूकता दो बेहद जरूरी चीजें हैं जिनसे प्लास्टिक के खिलाफ अपनाया जा सकता है। प्लास्टिक बैग्स से होने वाले नुकसान की जानकारी अपने आप में नाकाफी है जब तक इसके नुकसान जानने के बाद ठोस कदम न उठाए जाएं। सरकार और पर्यावरण संस्थाओं के अलावा भी हर एक नागरिक की पर्यावरण के प्रति कुछ खास जिम्मेदारियां हैं जिन्हें अगर समझ लिया जाए तो पर्यावरण को होने वाली हानि को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। खुद पर नियंत्रण इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकता है।
प्लास्टिक को सदैव नकारना है और पर्यावरण को सदैव स्वीकारना है।
Explanation:
सप्रेम नमस्कार।
प्लास्टिक को सदैव नकारना है और पर्यावरण को सदैव स्वीकारना है।
प्राकृतिक संपदा हमारे जीवन में एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। प्राकृतिक संपदा को हम विभिन्न बनो जल मृदा पहाड़ों आदि के रूप में देख सकते हैं। हम मानव प्राकृतिक संपदा का उपयोग करते करते इतने स्वार्थी बन गए कि इन्हें नष्ट करने पर तुल गए हैं। हम ना केवल आवश्यकता से अधिक प्राकृतिक संसाधनों को उपयोग में लाते हैं बल्कि उन्हें व्यर्थ बर्बाद ही करने लगते हैं। यह तो एक अलग बात है अगर हम यह देखें कि हम प्रकृतिक संपदा को किस प्रकार नष्ट कर रहे हैं तो हम पाएंगे कि हम आजकल प्लास्टिक की अत्यधिक वस्तुओं का उपभोग करने लगे हैं। हालांकि प्लास्टिक की वस्तुओं के विभिन्न लाभ होते हैं लेकिन आज के दौर में प्लास्टिक पर्यावरण के लिए एक घातक शत्रु के रूप में उभर रहा है। प्लास्टिक के कारण ना केवल पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है बल्कि प्राकृतिक संपदा नष्ट होती जा रही है और मानव अपने अंत की ओर बढ़ रहा है। यदि हम प्लास्टिक का इसी प्रकार उपयोग करते रहे तो वह समय ज्यादा दूर नहीं जब हमारी पृथ्वी अपना अंत होते देखेगी और हम कुछ नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमें प्लास्टिक को सदैव नकारना है और पर्यावरण को सदैव स्वीकारना है।
धन्यवाद।
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