13) पादप जगत के जलस्थचर हैं।
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पादप जगत मैं कुछ कवक पादपों को छोड़कर सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं पादपों में पादपों में कोशिका पाई जाती है, पादप जगत इतना विविध है कि एक कोशिका सेवालों से निकलकर एक विशालकाय बरगद के वृक्ष शामिल होते हैं। जो जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं वह पौधे होते हैं। पादप जगत के प्रमुख वर्ग थैलीफाइट, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म । ब्रायोफाइटा प्रथम स्थलीय पादप है इसे पादप जगत का उभयचर भी कहते हैं। यह भूमि पर जीवित रहते हैं परंतु लैंगिक जनन के लिए जल पर निर्भर रहते है। इनका शरीर थेल्स के रूप में होता है इसमें का एक जनन विखंडन द्वारा होता है।
पादप जगत के जलस्थचर हैं।
ब्रायोफाइट्स प्रथम स्थलीय पादप है। ब्रायोफाइटा को पादप जगत के उभयचर भी कहा जाता है क्योंकि ये भूमि पर जीवित रहते है , परन्तु लैंगिक जनन के लिए जल पर निर्भर होते है।
पादप जगत मैं कुछ कवक पादपों को छोड़कर सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं पादपों में पादपों में कोशिका पाई जाती है, पादप जगत इतना विविध है कि एक कोशिका सेवालों से निकलकर एक विशालकाय बरगद के वृक्ष शामिल होते हैं। जो जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं वह पौधे होते हैं। पादप जगत के प्रमुख वर्ग थैलीफाइट, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म । ब्रायोफाइटा प्रथम स्थलीय पादप है इसे पादप जगत का उभयचर भी कहते हैं। यह भूमि पर जीवित रहते हैं परंतु लैंगिक जनन के लिए जल पर निर्भर रहते है। इनका शरीर थेल्स के रूप में होता है इसमें का एक जनन विखंडन द्वारा होता है।