15 mai ki rat ko camp 3 mai kai ghatana ghati
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घटना की शुरुआत 6 जून को हुई मीटिंग से हुई. भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल्स के बीच बातचीत हुई. इसमें सेनाओं के बीच लद्दाख में चल रहे तनाव पर विस्तार से चर्चा हुई. शांति बहाल करने की प्लानिंग की गई. दोनों सेनाएं पीछे हटने को राज़ी हो गईं.
– मीटिंग के बाद खबर आई कि भारत की सीमा के अंदर, गलवान नदी के पास जहां चीन ने अपना कैंप लगाया था, उसे हटा लिया. लेकिन कुछ ही दिनों बाद दोबारा चीनी सैनिकों ने वहां कैंप बना लिया. चीनी सैनिकों ने मीटिंग में हुई सहमतियों का उल्लंघन किया.
– इसी वजह से 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू कुछ जवानों के साथ उस कैंप के पास गए. 15 जून की रात को. केवल ये पता लगाने के लिए कि ये टैंट दोबारा अचानक से कैसे बन गया, वो भी तब जब सहमति के साथ इसे हटाया गया था. जब कर्नल सैनिकों के साथ कैंप के पास पहुंचे, तब चीनी सैनिक पूरी तरह से चौकन्ने होकर उनका इंतज़ार कर रहे थे. पूरी तैयारी के साथ. बिल्कुल ऐसे जैसे जाल बिछाकर रखा हो. उन्होंने बुलेट प्रुफ जैकेट पहनी हुई थी, बंदूक, पत्थर, हथियार सब उनके पास थे. जैसे ही भारतीय जवान उनके पास पहुंचे, हमला हो गया.
– इस हमले में कई भारतीय सैनिक घायल हुए. ये शुरुआती हमला था. काफी संभावना है कि पहली मौत इस हमले में हुई थी.
– इसके बाद भारतीय कमांडिंग ऑफिसर अपने सैनिकों के साथ वापस लौटने लगे, लेकिन उसी दौरान कुछ भारतीय सैनिकों को चीनी सैनिकों ने कैद कर लिया. काफी संभावना है कि उस कैद में उन्हें बुरी तरह पीटा गया.
– इसके बाद चीनी सैनिकों के कब्जे में जितने भारतीय सैनिक थे, उन्हें छुड़ाने के लिए कमांडिंग ऑफिसर कुछ और सैनिकों के साथ वापस कैंप गए. और इसी वक्त सैनिकों के ऊपर हमला हुआ. कई सैनिक शहीद हुए. कुछ गलवान नदी में कूद गए, तो कुछ को धक्का दिया गया.
शिव अरूर ने बताया कि दोनों तरफ के आंकड़ों को मिलाया जाए तो करीब 50 सैनिक मारे गए हैं. इन 50 में से 20 भारतीय सैनिक हैं. हालांकि चीन के कितने सैनिक मारे गए, इसकी संख्या अभी साफ नहीं है.
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