Social Sciences, asked by harshraj01066, 11 months ago

16. चंद्रगुप्त मौर्य के अधीन सेना कितने भागों में विभक्त थी?​

Answers

Answered by vishalojha61
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Answer:

चन्द्रगुप्त मौर्य (जन्म ३४५ ई॰पु॰, राज ३२२[2]-२९८ ई॰पु॰[3]) में भारत के सम्राट थे। इनको कभी कभी चन्द्रनन्द नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफ़ल रहे। भारत राष्ट्र निर्माण मौर्य गणराज्य ( चन्द्रगुप्त मौर्य )

सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य

मौर्य

बिरला मंदिर, दिल्ली में एक शैल-चित्र

सम्राट बिन्दुसार मौर्य

शासनावधि

३२२ ईसा पूर्व-२९८ ईसा पूर्व

राज्याभिषेक

३२२ ईसा पूर्व

पूर्ववर्ती

नंद साम्राज्य के धनानंद

उत्तरवर्ती

सम्राट बिन्दुसार मौर्य

जन्म

345 ईसा पूर्व

पाटलिपुत्र (अब बिहार में)

निधन

297 ईसा पूर्व (उम्र 47–48)

श्रवणबेलगोला, कर्नाटक

समाधि

श्रवण बेलगोला कर्नाटक मैसूर चन्द्रगिरी हिल पर्वत

जीवनसंगी

दुर्धरा और हेलेना (सेलुकस निकटर की पुत्री)

संतान

बिन्दुसार

पूरा नाम

चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य,

घराना

[[suryavansi ]]

पिता

सूर्यगुप्त (सर्वार्थसिद्धी) मौर्य

माता

श्री मती मुरा देवी मौर्य (शिवा)

धर्म

सनातन धर्म , जैन धर्म[1]

हस्ताक्षर

सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के हस्ताक्षर

सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की तिथि साधारणतया ३२२ ई.पू. निर्धारित की जाती है। उन्होंने लगभग २४ वर्ष तक शासन किया और इस प्रकार उनके शासन का अंत प्राय: २९८ ई.पू. में हुआ।

विष्णु पुराण, माहाभारत के और भारतीय इतिहासकारो जैसे कि द्विजेन्द्रलाल राय ,मुद्राराक्षस के अनुसार चन्द्रगुप्त, सूूर्यगुप्त(सर्वार्थसिद्धी)ओर मुर (शिवा) के पुत्र है.

मेगस्थनीज ने चार साल तक चन्द्रगुप्त की सभा में एक यूनानी राजदूत के रूप में सेवाएँ दी। ग्रीक और लैटिन लेखों में , चंद्रगुप्त को क्रमशः सैंड्रोकोट्स और एंडोकॉटस के नाम से जाना जाता है।

चंद्रगुप्त मौर्य प्राचीन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण राजा हैं। चन्द्रगुप्त के सिहासन संभालने से पहले, सिकंदर ने उत्तर पश्चिमी भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण किया था, और 324 ईसा पूर्व में उसकी सेना में विद्रोह की वजह से आगे का प्रचार छोड़ दिया, जिससे भारत-ग्रीक और स्थानीय शासकों द्वारा शासित भारतीय उपमहाद्वीप वाले क्षेत्रों की विरासत सीधे तौर पर चन्द्रगुप्त ने संभाली। चंद्रगुप्त ने अपने गुरु चाणक्य (जिसे कौटिल्य और विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता है, जौ चन्द्र गुप्त के प्रधानमंत्री भी थे) के साथ, एक नया साम्राज्य बनाया, राज्यचक्र के सिद्धांतों को लागू किया, एक बड़ी सेना का निर्माण किया

और अपने साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार करना जारी रखा।[4]

चंद्रगुप्त मौर्य प्राचीन भारत के नेपाल के तराई वाले क्षेत्र छोटे से गणराज्य के राजा के पुत्र थे उनके पिता की हत्या कर राज्य हथियाने के कारण उनकी माता उन्हें लेकर पाटली पुत्र चली आई थी यही पर उनकी मुलाकात चाणक्य से हुईं थीं। मध्यकालीन अभिलेखों के साक्ष्यानुसार मौर्य सूर्यवंशी मांधाता से उत्पन्न थे। बौद्ध साहित्य में मौर्य क्षत्रिय कहे गए हैं। महावंश चंद्रगुप्त कोमोरिय (मौर्य) खत्तियों से पैदा हुआ बताता है। दिव्यावदान में बिंदुसार स्वयं की मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय कहते हैं। सम्राट अशोक भी स्वयं को क्षत्रिय बताते हैं। महापरिनिब्बान सुत्त से 5 वी शताब्दी ई 0 पू 0 उत्तर भारत आठ छोटे छोटे गाणराज्यों में बटा था। मोरिय पिप्पलिवन के शासक, गणतांत्रिक व्यवस्थावाली जाति सिद्ध होते हैं। पिप्पलिवन ई.पू. छठी शताब्दी में नेपाल की तराई में स्थित रुम्मिनदेई से लेकर आधुनिक देवरिया जिले के कसया प्रदेश तक को कहते थे। मगध साम्राज्य की प्रसारनीति के कारण इनकी स्वतंत्र स्थिति शीघ्र ही समाप्त हो गई। यहीं कारण था कि चंद्रगुप्त का मयूरपोषकों, चरवाहों तथा लुब्धकों के संपर्क में पालन हुआ। परंपरा के अनुसार वह बचपन में अत्यंत तीक्ष्णबुद्धि था, एवं समवयस्क बालकों का सम्राट् बनकर उनपर शासन करता था। ऐसे ही किसी अवसर पर चाणक्य की दृष्टि उसपर पड़ी, फलत: चंद्रगुप्त तक्षशिला गए जहाँ उन्हें राजोचित शिक्षा दी गई। ग्रीक इतिहासकार जस्टिन के अनुसार सांद्रोकात्तस (चंद्रगुप्त) साधारणजन्मा था।

सिकंदर के आक्रमण के समय लगभग समस्त उत्तर भारत धनानंद द्वारा शासित था। नंद सम्राट् अपनी निम्न उत्पत्ति एवं निरंकुशता के कारण जनता में अप्रिय थे। चाणक्य तथा चंद्रगुप्त ने राज्य में व्याप्त असंतोष का सहारा ले नंद वंश को उच्छिन्न करने का निश्चय किया अपनी उद्देश्यसिद्धि के निमित्त चाणक्य और चंद्रगुप्त ने एक विशाल विजयवाहिनी का प्रबंध किया ब्राह्मण ग्रंथों में नंदोन्मूलन का श्रेय चाणक्य को दिया गया है। जस्टिन के अनुसार चंद्रगुप्त डाकू था और छोटे-बड़े सफल हमलों के पश्चात्‌ उसने साम्राज्यनिर्माण का निश्चय किया। अर्थशास्त्र में कहा है कि सैनिकों की भरती चोरों, म्लेच्छो

Answered by palvianilji
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Answer:

Explanation:

Chandragupt Maurya ke aadami se kitne bhago mein vyakt thi

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