(16) लता ओट तब सखिन्ह लखाए। स्यामल गौर किसोर
सुहाए।
देखि रूप लोचन ललचाने। हरषे जनु निज निधि
पहिचाने।
उपरोक्त काव्य पंक्तियों में निहित रस है-
(क) संयोग शृंगार रस
(ख) वियोग शृंगार रस
(ग) करुण रस
(घ) हास्य रस
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सही जवाब है,
(क) संयोग शृंगार रस
व्याख्या :
लता ओट तब सखिन्ह लखाए। स्यामल गौर किसोर
सुहाए।
देखि रूप लोचन ललचाने। हरषे जनु निज निधि
पहिचाने।
उपरोक्त पंक्तियों में श्रृंगार रस का एक भेद संयोग श्रंगार रस प्रकट हो रहा है।
संयोग श्रंगार रस का स्थायी भाव रति होता है।
श्रंगार रस के दो भेद होते है,
संयोग श्रंगार रस और वियोग अर्थात विप्रलंभ श्रंगार रस
संयोग श्रंगार रस वहां पर प्रकट होता है, जहां नायक नायिका के बीच प्रेम स्थापित हो अर्थात नायक नायिका एक दूसरे के प्रति प्रेम से पुलकित हो। जहाँ नायक या नायिका एक दूसरे के प्रति प्रेमभाव प्रकट कर रहें हो।
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