17. कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं
को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
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कुछ ऐसे मार्मिक प्रसंग है, जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि बालगोबिन भगत उन प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, जो विवेक की कसौटी पर खरी नहीं उतरती थीं | उदाहरणस्वरुप:
बालगोबिन भगत के पुत्र की मृत्यु हो गई, तो उन्हों ने सामाजिक परंपराओं के अनुरूप अपने पुत्र का क्रिया-कर्म नहीं किया | उन्होंने कोई तूल न करते हुए बिना कर्मकांड के श्राद्ध-संस्कार कर दिया |
सामाजिक मान्यता है की मृत शरीर को मुखाग्नि पुरूष वर्ग के हाथों दी जाती है | परंतु भगत ने अपने पुत्र को मुखाग्नि अपनी पुत्रवधू से ही दिलाई | हमारे समाज में विधवा विवाह को मान्यता नहीं दी गई है, परंतु भगत ने अपननी पुत्रवधू को पुनर्विवाह करने का आदेश दे दिया
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REGARDS!!!!!
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MARK ME AS BRANLIEST IF U THINK MY ANSWER IS THAT APPRECIATABLE......
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