मध्य प्रदेश में वन क्षेत्रों में कुटीर एवं लघु उद्योग की स्थापना हेतु सुझाव दीजिए
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I don't know
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i don't care
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भारत की वनसंपदा विशाल एवं विविधतापूर्ण है जो कि विभिन्न प्रकर के उद्योगों का समर्थन करने में सक्षम हैं। इन उद्योगों के बारे में विवरण नीचे दिया गया है।
कागज उद्योग
- देश की प्रथम असफल कागज मिल 1832 में सेरामपुर (बंगाल) में स्थापित की गयी। बाद में, 1870 में बालीगंज (कोलकाता के निकट) में पुनः एक मिल की स्थापना की गयी। किंतु कागज उद्योग का नियोजित विकास स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ही संभव हो सका।
- कागज उद्योग हेतु बांस, गूदा, छीजन, सलाई व सबाई घास, व्यर्थ कागज इत्यादि कच्चे माल की जरूरत होती है। उद्योग की अवस्थिति कच्चे माल तथा कुछ सीमा तक बाजार द्वारा प्रभावित होती है।
- 1950 में, यहां 17 पेपर मिल थीं जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 1.6 लाख टन थी। वर्तमान में, देश में 515 कागज मिलें हैं जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता लगभग 7.4 मिलियन टन है। देश में 112 न्यूजप्रिंट मिलें हैं जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता लगभग 1.69 मिलियन टन है।
- कागज उद्योग का एक महत्वपूर्ण पहलू है- लघु कागज मिलों की सशक्त उपस्थिति। ये कागज उद्योग की कुल क्षमता का 50 प्रतिशत रखते हैं और देश में पेपर और पेपरबोर्ड के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
- वैश्विक स्तर पर भारत के कागज उद्योग को विश्व के 15 सर्वोच्च पेपर उद्योगों में दर्जा हासिल है।
मध्य प्रदेश: राज्य के महत्वपूर्ण उत्पादक केंद्र इंदौर, भोपाल, सिहोर और शहडोल हैं।
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