17. कोरोना काल मार्च 2020 से जनवरी 2021 का अपने भाब्दों में वर्णन कीजिए
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भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे पहला मामला केरल के त्रिशूर में 30 जनवरी 2020 को सामने आया था.
इसके अगले ही दिन यानी 31 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को वैश्विक चिंता की अंतरराष्ट्रीय आपदा घोषित किया था.
अब लगभग एक साल बाद और करीब एक करोड़ मामले सामने आने के बाद भारत शनिवार यानी 16 जनवरी 2021 से दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है.
भारत में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में बीते एक साल का सफ़र उतार-चढ़ावों भरा रहा है. इस दौरान देश कभी गहरी निराशा में डूबा तो कभी इस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में जीत की मज़बूत उम्मीदें बंधीं.
16 जनवरी का दिन इस लड़ाई में सबसे अहम पड़ाव साबित होने जा रहा है.
टीकाकरण की शुरुआत: सबसे अहम पड़ाव
आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च) के पूर्व निदेशक रहे वैज्ञानिक एके गांगुली इसे लड़ाई का सबसे अहम पड़ाव मानते हैं.
गांगुली कहते हैं, ''ये लंबी लड़ाई का पहला पड़ाव है जिसके साथ भारत की आर्थिक रिकवरी की आशाएं जुड़ी हुई हैं. अभी यह पहला चरण है और अगर हम इसमें कामयाब रहे और लोगों को वैक्सीन चुनने का विकल्प दे सके तो हम ये कह सकते हैं कि कोरोना के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई मज़बूत हो गई है.''
कोरोना वायरस संक्रमण का मामला सबसे पहले चीन के वुहान में सामने आया था. वुहान में दिसंबर 2019 में ही अधिकारियों ने नए वायरस के मामले की पुष्टि कर दी थी. फ़रवरी आतेआते दुनिया भर के देशों ने चीन से अपने नागरिकों को वापस लाना शुरू कर दिया था.
भारत भी 27 फ़रवरी को चीन से अपने 759 नागरिकों को एयरलिफ़्ट करके लाया था. साथ ही 43 विदेशी नागरिक भी चीन से लाए गए थे.
मार्च आते-आते दुनिया भर में वायरस तेज़ी से फैल रहा था. रोकथाम के लिए भारत ने छह मार्च को विदेश से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग शुरू की.
कोरोना संक्रमण
इमेज स्रोत,GETTY IMAGES
11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया. अगले ही दिन 12 मार्च को भारत में कोरोना संक्रमण से पहली मौत की पुष्टि हुई. इसी दिन स्टॉक मार्केट भी धराशायी हो गया. बीएसई सेंसेक्स में 8.18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और निफ़्टी 9 प्रतिशत तक गिर गया.
अगले कुछ दिनों में भारत के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की पहचान करने में कामयाब रहे.
भारत सरकार ने 17 मार्च को निजी लैब्स को वायरस के टेस्ट करने की अनुमति दे दी.
अब राज्य इस वायरस को रोकने के लिए अपने हिसाब से पाबंदियाँ लगा रहे थे.
इसके बाद 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया. इसे पूर्ण लॉकडाउन की तैयारियों के तौर पर देखा गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च को देश को संबोधित किया और रात 12 बजे से 21 दिन के पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की. इस बीच सभी घरेलू उड़ाने भी निलंबित कर दी गईं.
प्रवासी मज़दूरों पर लॉकडाउन की मार
कोरोना वायरस ने भारत में ताला लगा दिया था. प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद देश भर में काम बंद हो गया. लोग अपने घरों में क़ैद हो गए. हज़ारों मज़दूरों ने पैदल ही अपने घरों की तरफ़ लौटना शुरू कर दिया. कुछ तो हज़ारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचे.
एनके गांगुली कहते हैं, ''कोरोना वायरस के खिलाफ़ लड़ाई में सबसे अहम वक्त लॉकडाउन और फिर धीरे-धीरे लॉकडाउन का समाप्त होना था. इस दौरान हमने प्रवासी मज़दूरों को पैदल चलकर घर जाते देखा. नौकरियां गईं, अर्थव्यवस्था बंद हो गईं लेकिन धीरे-धीरे भारत इस लड़ाई में जीत की तरफ़ बढ़ता गया. हमने टेस्ट करने पर जोर दिया.''
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कोरोना वैक्सीन से जुड़े ज़रूरी सवालों के जवाब
वो कहते हैं, ''शुरुआत में हम वायरस को ट्रैक करने में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए. हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई. अचानक कोविड के इतने मामले आने लगे कि लोगों को आईसीयू बेड नहीं मिल पा रहे थे. इसी वजह से 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की मौत का आंकड़ा भी बड़ा. लेकिन फिर हमने पीपीई में निवेश किया, टेस्टिंग को बढ़ाया, ट्रैकिंग बेहतर की और हम वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में कामयाब होते नज़र आए.''
पब्लिक पॉलिसी, हेल्थ सिस्टम एक्सपर्ट और 'टिल वी विन-इंडियाज़ फ़ाइट अगेंस्ट कोविड 19 पैन्डेमिक' किताब के लेखक डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया कहते हैं कि लॉकडाउन ज़रूरी तो था लेकिन कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में कामयाबी के लिए काफ़ी नहीं था.
'सिर्फ़ लॉकडाउन काफ़ी नहीं'
डॉक्टर लहारिया कहते हैं, ''जब लॉकडाउन लागू किया गया था तब ही ये समझ आ गया था कि ये महत्वपूर्ण तो है, इससे तैयारी के लिए समय मिल रहा है लेकिन सिर्फ़ लॉकडाउन ही काफ़ी नहीं है.''
''जुलाई और अगस्त के आसपास हम ये समझ गए थे कि कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई सिर्फ़ लॉकडाउन के ज़रिए नहीं जीती जा सकती है. इसके लिए अस्पतालों की व्यवस्था को मज़बूत करना होगा, टेस्टिंग और जनभागीदारी बढ़ानी होगी. वास्तव में कोरोना से जनस्वास्थ्य की सेवाओं को बेहतर करके ही जीता जा सकता है.''
डॉक्टर लहारिया कहते हैं, ''भारत में कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में जनभागीदारी सबसे अहम रही है. जहाँ-जहाँ लोगों ने कोरोना के ख़िलाफ़ अपने व्यवहार को बदला, सावधानी बरती, वहाँ-वहाँ कोरोना के केस कम होने लगे.''
''जुलाई-अगस्त के आसपास नीतिनिर्माता कहने लगे थे कि ग़ैर-ज़िम्मेदार लोग संक्रमण बढ़ने के लिए जिम्मेदार हैं. भारत में जनभागीदारी कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में अहम साबित हुई है. अमेरिका जैसे देशों से तुलना की जाए तो भारत के लोगों की भागीदारी लड़ाई में बेहतर रही है. हमें ये भी कहना होगा कि ज़िम्मेदार लोगों ने इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाई है.''
Answer:
korona 1 bhayank bimari he . ar o badhtihi ja rahi he . ar iska ilaj ghar me hi rahna he.
Explanation:
isaske 14 din me lakshan samj ate the ab kum ho gaya ye to pata nahi kbtk rahega lekin apna kayal rakhana chahiye ar swaccha rahna chahiye