1857 ki kranti ke asfalta ke karan in hindi ???
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1857 की क्रांति की असफलता के कारण
आजादी के लिये 1857 की क्रांति में सभी वर्ग के लोगों ने अपना सहयोग दिया था परन्तु यह क्रांति विफ़ल रही। इतिहासकार इस क्रांति की विफ़लता के निम्न कारण बताते है।
1. यह विद्रोह स्थानीय, सीमित तथा असंगठित था। बिना किसी पूर्व योजना के शुरू होने के कारण यह विद्रोह अखिल भारतीय स्वरूप धारण नहीं कर सका और भारत के कुछ ही वर्गों तक सीमित रहा।
2. देखा जाए तो विद्रोह की प्रकृति के मूल में सामंतवादी लक्षण थे। एक तरफ अवध, रुहेलखण्ड तथा उत्तर भारत के सामंतो ने विद्रोह का नेतृत्व किया, तो दूसरी ओर पटियाला, जींद, ग्वालियर तथा हैदराबाद के राजाओं ने विद्रोह के दमन में भरपूर सहयोग दिया। इसका प्रमाण कैनिंग के इस बयान से मिलता है-’’यदि सिंधिया विद्रोह में सम्मिलित हो जाए तो मुझे कल ही बोरिया-बिसतर समेटकर वापस लौट जाना होगा।’’
3. अंग्रेजों के साधन विद्रोहियों के साधनों की अपेक्षा बहुत अधिक मात्रा में तथा उन्नत किस्म के थे। जहाँ भारतीय विद्रोही परंपरागत हथियारों, तलवार और भालों से लड़े, वहीं दूसरी ओर अंग्रेज सेना आधुनिकतम हथियारों से लैस थी। तार-व्यवस्था जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग ने अंग्रेजों की ताकत कई गुना बढ़ा दी।
4. विद्रोहियों के पास ठोस लक्ष्य एवं स्पष्ट योजना का अभाव था। विद्रोहियों के सामने ब्रिटिश सत्ता के विरोध के अतिरिक्त कोई अन्य समान उद्देश्य नहीं थाा। उन्हें आगे क्या कराना होगा, यह निश्चित नहीं था। वे तो भावावेश एवं परिस्थितिवश आगे बढ़े जा रहा रहे थे।
5. विद्रोहियों के पास जहाँ सक्षम नेतृत्व का अभाव था, वहीं कंपनी का लारेंस बंधु, निकोलसन, आउट्रम, हैबलाक एवं एडवड्र्स जैसे योग्य सैन्य अधिकारियों की सेवाएँ प्राप्त थीं। विद्रोह में आधुनिक शिक्षाप्राप्त भारतीयों का सहयोग विद्रोहियों को नहीं मिला। वे भारत के पिछड़ेपन को समाप्त करना चाहते थे तथा उनके मन में यह भ्रम था कि अंग्रेज आधुनिकीकरण के माध्यम से इस काम को पूरा करने में उनकी मदद करेंगे। वे यह मानते थे कि विद्रोही देश में सामंतवादी व्यवस्था पुनः स्थापित कर देंगे।
6. विद्रोहियों को उपनिवेशवाद की कोई विशेष समझ नहीं थी जो कि एक ऐसी विचारधारा थी जिसके सहारे ब्रिटेन पूरे विश्व में अपनी जड़ें फैला चुका था। अतः इस विद्रोह का असफल होना अवश्यंभावी था।
7. विद्रोहियों के पास भविष्योन्मुख कार्यक्रम, सुसंगत विचारधारा या भावी समाज की कोई रूपरेखा नहीं थी। किसी निश्चित योजना के अभाव के साथ ही ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकनें के पश्चात् वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था के बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं था। इसके अलावा, वे आपस में भी एक-दूसरे को शंका की दृष्टि से देखा करते थे।
निष्कर्ष: आजादी के लिये 1857 की क्रांति में सभी वर्ग के लोगों ने अपना सहयोग दिया था परन्तु यह क्रांति विफ़ल रही। 1857 की क्रांति के कुछ परिणाम भारतीयों के हित में थे तो कुछ परिणाम अंग्रेजों के अहित भी हुआ था।