History, asked by jitendertanwar333, 4 months ago

1946 में
हुए प्रांतीय चुनावों के किन्हीं तीन परिणामों का उल्लेख कीजिये।​

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Answered by smitsham
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Answer:

1945 के अंत में केंद्रीय विधानसभा के लिए निर्वाचन हुए। प्रांतीय निर्वाचन 1946 की पहली तिहाई में पूरे हो गए। चुनावों के परिणामस्वरूप साधारण निर्वाचन क्षेत्रों में तो कांग्रेस को भारी सफलता मिली और आठ प्रांतों में पूर्ण बहुमत प्राप्त हो गया, किंतु मुसलमानों के लिए आरक्षित स्थानों पर उसे घोर निराशा हुई। कुल 492 मुस्लिम स्थानों में 428 अकेले मुस्लिम लीग ने जीते। कांग्रेस को ही नहीं, अपितु लीग के अतिरिक्त अन्य मुस्लिम संगठनों को भी अप्रत्याशित असफलता मिली। पंजाब में खिजर हयात खां की यूनियनिस्ट पार्टी को भी मार खानी पड़ी। मुस्लिम लीग की जीत के पीछे उसका चुनाव अभियान के दिनों में फैलाया हुआ कट्टर सांप्रदायिक प्रचार था। प्रधानतः अशिक्षित और धर्मांध मुस्लिम जनता ‘इस्लाम खतरे में है’ और ‘अल्ला हो अकबर’ के नारों से इनती गुमराह हो गई कि उसने राजनीतिक मामलों की ओर ध्यान तक न दिया। दूसरी ओर शिमला सम्मेलन के बाद यह भी लगने लगा था कि बिना जिन्ना की मंजूरी के सरकार कोई नई संवैधानिक योजना लागू नहीं करेगी और जिन्ना मुसलमानों का प्रतिनिधित्व लीग के अलावा और किसी को दिए जाने के लिए तैयार नहीं होंगे। अतः यदि मुस्लिम जनता के प्रतिनिधि कभी सत्ता के निकट पहुंच सकते थे, तो लीग के माध्यम से ही। जो भी हो, चुनावों ने लीग का मुस्लिम जनता का प्रतिनिधि होने का दावा काफी हद तक सही सिद्ध कर दिया। यह बात साफ हो गई कि जहां देश का आम बहुमत कांग्रेस के साथ है, मुस्लिम जनता का बहुमत मुस्लिम लीग के पीछे है। मुस्लिम लीग को पूर्ण बहुमत तो किसी भी प्रांत में नहीं मिला था, किंतु तीन प्रांतों-बंगाल, पंजाब और सिंध में वह अकेले सबसे बड़े दल के रूप में आई। पंजाब में अकाली भी एक सशक्त गुट के रूप में उभरे। चुनावों के बाद अप्रैल 1946 के सिंध और पंजाब में खिजर हयात खां ने कांग्रेस और अकाली सिखों के सहयोग से एक मिलाजुला मंत्रिमंडल बनाया और सभी अर्थात आठ प्रांतों में कांग्रेस की सरकारें बनीं। मुस्लिम बहुल उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत में लीग के सब प्रयत्न विफल रहे और वहां कांग्रेस जीती और उसकी सरकार बनी।

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