Hindi, asked by Pjing61, 1 year ago

1947 के पहले भारतीय कृषि की स्थिति थी 1947 के बाद कृषि-उत्पादन मे वृद्धि के लिए क्या तरीके अपनाए गये in hindit

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Answered by samira12
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1837 से 1838 का अकाल भारत में स्वतंत्रता के पूर्व युग की प्रमुख दुर्घटनाओं में से एक था। इस अकाल से पहले यह क्षेत्र 1803 से 1804, 1813 से 1814, 1819, 1825 से 1826, 1827 से 1828 और 1832 से 1833 के दौरान कई अकाल और अकाल जैसी स्थितियों के कारण प्रभावित हुआ था। 1830 के दशक में कई अन्य कारकों ने भी प्रभाव पैदा करना शुरू कर दिया था जैसे कि एक आर्थिक मंदी, एल नीनो के संभावित प्रभाव और विभिन्न पारिस्थितिकीय परिवर्तन जो 10 से अधिक वर्षों तक जारी रहे थे। इसका मतलब यह था कि क्षेत्र में पहले से ही फसलों की कमी थी और ये कारक उन्हें मूलरूप से नष्ट करने के लिए तैयार थे। 1837 के दौरान इलाहाबाद और दिल्ली के बीच दोआब क्षेत्र में गर्मियों के मौसम में भी बरसात न के बराबर हुई थी। यमुना के आस-पास के जिलों की स्थिति दोआब क्षेत्र जैसी ही थी।
Answered by bhatiamona
18

1947 के पहले भारतीय कृषि की स्थिति थी बहुत अलग थी । ब्रिटिश सरकार को और मकान मालिक को भी उच्च कर देना पड़ता है। किसान पहले जमींदार के खेत में खेती करते थे।

1947 के बाद कृषि-उत्पादन मे वृद्धि के लिए क्या तरीके अपनाए गये

आजादी के बाद नई भारतीय सरकार ने उन सभी करों को हटा दिया। उन्होंने किसानों और उनके अपने खेत दिए गये ताकी अपनी खेती कर सके। भारत की कृषि स्थिति को सुधारने के लिए एक नई प्रकार की सिंचाई प्रणाली विकसित कीगई , नए उर्वरक, नए कीटनाशक और नई मशीनों का आविष्कार किया। किसानों के कृषि के बारे ट्रेनिंग दी जाती है।

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