1989 के बाद भारतीय राजनीति पर दलीय व्यवस्था के विघटन का क्या प्रभाव पड़ा
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➲ 1989 के बाद भारतीय राजनीति में दलीय व्यवस्था के विघटन पर अलग प्रभाव पड़ा।
1989 के बाद भारत में गठबंधन की राजनीति का उदय हुआ और कई दलों के गठबंधन की सरकार बनने लगी। 1989 के बाद भारतीय राजनीति में कांग्रेस का वर्चस्व कमजोर पड़ने लगा था। कई क्षेत्रीय दलों का उदय होना शुरु हुआ तो वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के विकल्प बनकर मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरने लगी।
1989 में जनता दल भी कांग्रेस का विकल्प बनकर उभरा था, लेकिन वह लंबे समय तक अपना स्वरूप कायम नहीं रख पाया और कई अन्य छोटे-छोटे व क्षेत्रीय दलों में विभक्त हो गया, जबकि भारतीय जनता पार्टी धीरे-धीरे मजबूत होती रही और वह कांग्रेस के विकल्प के रूप में एकल पार्टी बनकर उभरी।
1989 में जनता दल ने कई दलों के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई थी जो कि अस्थिर सरकार साबित हुई और दो साल तक ही चल सकी। 1991 में कॉन्ग्रेस ने सरकार बनाई लेकिन 1996 से भारत में गठबंधन की राजनीति का एक नया दौर शुरू हो गया और 2014 तक अलग-अलग गठबंधन की सरकार बनती रहीं। जिनमें राष्ट्रीय मोर्चा-वाम मोर्चा गठबंधन, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकारे प्रमुख थीं।
2014 में गठबंधन की सरकार की जगह एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी लेकिन फिर भी गठबंधन की सरकारों का दौर जारी है। केंद्र में भी सत्तासीन दल के पास पूर्ण बहुमत होने के बावजूद उसने गठबंधन सरकार को बनाये रखा है, जबकि राज्यों में भी अनेक गठबंधन सरकार कार्यरत हैं।
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