1990 से पहले और बाद में केंद्र राज्य संबंधों का विशेषण करें ?
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अनु 256 के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्तियाँ इस तरह प्रयोग लायी जाये कि संसद द्वारा पारित विधियों का पालन हो सके। इस तरह संसद की विधि के अधीन विधिंयों का पालन हो सके। इस तरह संसद की विधि के अधीन राज्य कार्यपालिका शक्ति आ गयी है। केन्द्र राज्य को ऐसे निर्देश दे सकता है जो इस संबंध में आवश्यक हो।
अनु 257 कुछ मामलों में राज्य पर केन्द्र नियंत्रण की बात करता है। राज्य कार्यपालिका शक्ति इस तरह प्रयोग ली जाये कि वह संघ कार्यपालिका से संघर्ष न करे। केन्द्र अनेक क्षेत्रों में राज्य को उसकी कार्यपालिका शक्ति कैसे प्रयोग करे इस पर निर्देश दे सकता है। यदि राज्य निर्देश पालन में असफल रहा तो राज्य में राष्ट्रपति शासन तक लाया जा सकता है।
अनु 258[2] के अनुसार संसद को राज्य प्रशासनिक तंत्र को उस तरह प्रयोग लेने की शक्ति देता है जिनसे संघीय विधि पालित हो केन्द्र को अधिकार है कि वह राज्य में बिना उसकी मर्जी के सेना, केन्द्रीय सुरक्षा बल तैनात कर सकता है
अखिल भारतीय सेवाएँ भी केन्द्र को राज्य प्रशासन पे नियंत्रण प्राप्त करने में सहायता देती हैं। अनु 262 संसद को अधिकार देता है कि वह अंतराज्य जल विवाद को सुलझाने हेतु विधि का निर्माण करे संसद ने अंतराज्य जल विवाद तथा बोर्ड एक्ट पारित किये थे। अनु 263 राष्ट्राप्ति को शक्ति देता है कि वह अंतराज्य परिषद स्थापित करे ताकि राज्यों के मध्य उत्पन्न मत विभिन्ंता सुलझा सके।