Hindi, asked by hashmitabhatt962, 2 months ago

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यांश क्र.2: (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 49)
श्व का पालक बन जो, अमर उसको कर रहा है,
तु
अपने पालितों के, पद दलित हो मर रहा है,
आज उससे कर मिला, नव सृष्टि का निर्माण कर लूँ।
उस कृषक का गान कर लूँ।।

क्षीण निज बलहीन तन को, पत्तियों से पालता जो,
ता
ऊसरों को खून से निज, उर्वरा कर डालता जो,
छोड़ सारे सुर-असुर, मैं आज उसका ध्यान कर लूँ।
हा है। उस कृषक का गान कर लूँ।।
रहता है। यंत्रवत जीवित बना है, माँगते अधिकार सारे,
रो रही पीड़ित मनुजता, आज अपनी जीत हारे,
जोड़कर कण-कण उसी के, नीड़ का निर्माण कर लूँ।
उस कृषक का गान कर लूँ।
वि
कृ
नव
नि​

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Answered by asfakh854
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