(2) बालगोबिन भगत साधुता का जीवन जीते हुए भी स्वाभिमानी थे। स्पष्ट कीजिए।
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बालगोबिन भगत साधुता का जीवन जीते हुए भी स्वाभिमानी थे। स्पष्ट कीजिए।
बालगोबिन भगत साधुता का जीवन जीते हुए भी स्वाभिमानी थे। वे रोज सबेरे उठकर दो मील चलकर नदी में स्नान करने जाते थे। वहाँ से लौटने के बाद पोखर के भिंड पर गाना गाते थे। वह एक मधुर गायक थे| वह कबीर जी के पद इस तरह गाते थे कि की सभी जीवित हो उठे हो| वह कोई भी सामाजिक मान्यताएं नहीं मानते थे को किसी को भी दुःख दे|
बालगोबिन भगत कबीर के पक्के भक्त थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और हमेशा खरा व्यवहार करते थे। वे किसी की चीज का उपयोग बिना अनुमति माँगे नहीं करते थे। उनकी इन्हीं विशेषताओं के कारण वे साधु कहलाते थे। वह सरल जीवन व्यतीत करते थे | वह किसी को भी दुखी नहीं करते थे | वह दुखी व्यक्तियों का दुःख बाँटते थे |
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भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
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Answer:
बालगोबिन भगत प्रति वर्ष अपने घर से तीस कोस दूर गंगा स्नान को जाते थे। इस यात्रा में चार-पाँच दिन लग जाते थे। भगत इतने स्वाभिमानी थे कि पैदल आते-जाते किंतु किसी का सहारा न लेते। वे मानते थे कि साधु को संबल लेने का के या हक। इसी प्रकार वे रास्ते में उपवास कर लेते पर किसी से माँगकर न खाते क्योंकि वे कहते थे कि गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगे। इस प्रकार उन्होंने साधु और गृहस्थ होने के स्वाभिमान को बनाए रखा।