2. “चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ 1poi दरसण पास्यूँ ।” का आशय है - * आपकी दासी बनकर मैं रोज़ आपके दर्शन पाऊँगी आपकी भक्ति पाकर मैं बाग लगाऊँगी और आपके दर्शन करूँगी O O आपके पास रहकर मैं आपकी सेवा करूँगी और आपके दर्शन पाऊँगी O O आपकी दासी बनकर, बाम लगाऊँगी और रोज़ आपके दर्शन करूँगी
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bdheyehehbehhr by 77383
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