2. फोटोग्राफर ने जब 'रेडी-प्लीज़' कहा होगा, तब परंपरा के अनुसार तुमने मुसकान लाने
की कोशिश की होगी, दर्द के गहरे कुएँ के तल में कहीं पड़ी मुसकान को धीरे-धीरे
खींचकर ऊपर निकाल रहे होंगे।
nihit vyangya spasht Karen
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सोच के कुएं में डूब चुके हम पहले तो उसपर ध्यान नहीं देते फिर कैसे भी करके अपने आप को कुछ करने लायक करते है । तब तक फोटो खिंच लिया जाता है और हम आधी गम और मुस्कान के भंवर में फंसे रह जाते है। यही हमको परिणाम स्वरूप प्राप्त होता है।
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