2. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नो का उत्तर दीजिये।
हमारे बेचारे पुरखे न गरुण के रूप में आ सकते है, न मयूर के, न हंस के।
उन्हें पितर पक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए काक बनकर ही अवतीर्ण होना
पड़ता है। इतना ही नहीं, हमारे दूरस्थ प्रिय जनों को भी अपने आने का
मधुर संदेश इनके कर्कश स्वर मे ही दे देना पड़ता है। दूसरी ओर कौवा
कांव-कांव करना का अवमानना के अर्थ में प्रयुक्त करते है।
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Answer:
पितृ पक्ष के दौरान कौवे का अत्याधिक महत्व होता है। पूजन के बाद घाटों पर ही कौवे के लिए निकाला जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान कौवे पितरों के संदेशवाहक के रूप में कार्य करते हैं और पूजन के बाद कौवे के लिए निकाला गया भोजन उनके ग्रहण करने से खुद ही पितरों तक पहुंच जाता है। पतरों को दिए जाने वाले भोजन को ग्रहण करने के लिए अब भारत में कौवों को तलाशना पड़ता है, वो भी इन 15 दिनों में सबसे ज्यादा।कौवे पितरों को दी जाने वाली ग्रास के भागीदार हैं। गरुड़ पुराण में कौवे को संदेशवाहक माना गया है। कहते हैं कि कौवे को ग्रास देने से पितर तृप्त होते हैं। उन्हें पितरों का जूठन खाने का अधिकारी माना गया है। कौवे को यमदूतों के वाहन के रूप में कार्य करते हैं।
Explanation:
follow and thanks
दिए गए गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर निम्न प्रकार से दिए गए हैं।
1. हमारे पुरखे किस रूप में आते है ?
2. कौवा समदरित कैसे है ?
3. मधुर संदेश किसके द्वारा मिलता है ?
- 1. हमारे पुरखे कौवे के रूप में आते है, वे न गरुड़ ने रूप में अा सकते है न मयूर के रूप में तथा न ही हंस के रूप में अा सकते है। पितर पक्ष में कुछ पाने के लिए उन्हें कौवा ही बनकर आना पड़ता है।
- 2. कौवे को समदरित कहा गया है क्योंकि जब लोग मर जाते है तब कहा जाता है कि वे अपने प्रिय जनों से मिलने आते है। वे कौवे के रूप में खाना खाने आते है। श्राद्ध में कौवों को बुलाया जाता है तथा मरने वाले को जो भी व्यंजन पसंद होते है, वे सभी व्यंजन बनाकर कौवे को खिलाए जाते है। कौवे के खाना खाने पर लोगों को लगता है कि मरने वाले में खाना खा लिया। कौवे को विचित्र प्राणी कहा गया है क्योंकि कभी उनका आदर किया जाता है व कभी अनादर ।
- 3.मधुर संदेश कौवे द्वारा ही कर्कश स्वर में मिलता है।
#SPJ 2
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