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हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
मँगवाओ मुझसे भीख
और कुछ ऐसा करो
कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह
झोली फैलाऊँ और न मिले भीख
कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को
तो वह गिर जाए नीचे
और यदि मैं झुकूँ उसे उठाने
तो कोई कुत्ता आ जाए
और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।
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- कवित्री ईश्वर को जूही का फूल कहकर पुकारते हैं kavitri Ishwar se prathna karti hai ki vah kuchh Aisa kare ki vah apna Ghar bhul jaaye kisi ke samne chhori fail aaye to use bheekh Na mile
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