2) कवि की भक्ति किसके जैसी है।poem प्रभु जी तुम चंदन हम पानी
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संत रविदास भारत के आध्यात्मिक आकाश में दैदीप्यमान नक्षत्र है, वे ध्रुव तारा है। कबीर और रविदास आपस में गुरुभाई है। ... रविदास जी ने कर्म को महत्ता दी है, तभी कठौती में गंगा जैसी कहावत प्रचलन में आई। उनका यह पद 'प्रभु जी तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी' भक्त का अनुपम चित्र निरूपित करता है।
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