2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है।
सूर्यचन्द्र युग मुकुट, मेखला रलाकर है।
नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारा मण्डन है।
बन्दीजन खग वृन्द, शेष फन सिंहासन है।
करते अभिषेक पयोद है, बलिहारी इस देश की।
जिसकी रज में लोट लोटकर बड़े हुए है।
घुटनों के बल सरक सरककर बड़े हुए है।
परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाये।
जिसके कारण धूल भरे हीरे कहलाये।
हम खेले कूदे हर्षयुक्त जिसकी प्यारी गोद में।
हे मातृभूमि ! तुझको निरख क्यों न हों मोद में।
(i) मातृभूमि को किसकी मूर्ति बताया गया है?
(ii) 'धूल भरे हीरे' से कवि का क्या आशय है?
(ii) उपर्युक्त काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइये।
(iv) इस काव्यांश के द्वारा कवि ने क्या संदेश दिया है?
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