2 निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के
"आज जीतके रात.
पहरूए.सावधान रहना।
खुले देश के द्वार,
अचलदीपक समान रहना।
ऊँची हुई मशाल हमारी,
आगे कठिन उगर है।
शत्रु हार गया, लेकिन उसकी,
छायाओं का डर है।
शोषण से है मृत समाज,
कमजोर हमारा घर है।
किन्तु आ रही नई जिन्दगी
यह विश्वास अपर है।
जन गंगा में ज्वार,
लहर तुम प्रवद्यमान रहना,
पहरूए सावधान रहना।
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sorry friends prashn hi nahin hai yahan per
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