2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उससे पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए : मन समर्पित , तन समर्पित, और यह जीवन समर्पित, चाहता हूँ देश की धरती , तुझे कुछ और भी दूँ।
माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन , किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी , कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण ।
गान अर्पित , प्राण अर्पित . रक्त का कण कण समर्पित , चाहता हूँ देश की धरती , तुझे कुछ और भी दूँ।
कर रहा आराधना मैं आज तेरी एक विनती तो करो स्वीकार मेरी भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी , शीश पर आशीष की छाया घनेरी। स्वप्न अर्पित , प्रश्न अर्पित
आयु का क्षण-क्षण समर्पित . चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ ।
प्रश्न (क) इस काव्यांश का मूल भाव क्या है? (ख) कवि अपनी मातृभूमि का ऋण कैसे चुकाना चाहते हैं ? (ग) "तुझे कुछ और भी दूँ" में 'तुझे' संबोधन किसके लिए है ? (घ) कवि के पास माँ का क्या ऋण है ? (ड.) कवि मातृभूमि से क्या विनती कर रहे हैं ?
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sorry i dont understand hindi sorrrrryyyy
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