2 निम्नलिखित पद्य परिच्छेद पढकर कृतियाँ कीजिए
हे मातृभूमि ।तेरे चरणों में शीश नवाऊ में भक्तिभेट अपनी.तेरी शरण में लाऊ माथे पे तू हो चंदन ,छाती पेतू हो माला, जिहवा पे गीत तू हो मेरा,तेरा ही नाम गाऊ जिससे सपूत उपजे,श्रीराम-कृष्ण जैसे; उस धूल को में तेरी निज शीश पे चढाऊ।
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हे मातृभूमि / राम प्रसाद बिस्मिल
राम प्रसाद बिस्मिल »
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शिर नवाऊँ ।
मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।।
माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला ;
जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ ।।
जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे;
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।
माई समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर;
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।
सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर;
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।।
तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ।
मन और देह तुझ पर बलिदान मैं जाऊँ
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