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प्र. 1. निम्न गद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिए।
"जो व्यक्ति सद्गुण संपन्न होते हैं सदारी होते हैं, जनहित ही
जिनके जीवन का लक्ष होता है। वे महान पुरूष होते हैं, महात्मा
होते हैं। दुष्टों के निरन्तर संसर्ग और संपर्क में रहते भी
उनके चरित्र और स्वभाव पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। उनके
स्वभाव में कोई विकृति नहीं आ पाती। वे चंदन की भाँति
दुष्प्रवृतियों के बीच रहते हुए भी समाज के संतापों को अपनी
शीतलता से हटाते रहते हैं। अपने गुणों की सुगंध से वातावरण
को पवित्र बनाए रहते हैं। वे दुष्टों के प्रति निस्संग और निर्लिप्त
रहकर भी अपना कार्य करते रहते हैं। संगति का गुप्त प्रभाव
हमारे आचरण पर बड़ा भारी पड़ता है, यह उक्ति समान्य
व्यक्तियों के लिए कही गई है। चंदन जैसे व्यक्तित्व और चरित्र
वाले दृढ़ और उदात्र स्वभाव वाले महापुरूषों पर यह लागू नहीं
होता। वे लोग कुसंगति के प्रभाव से बहुत ऊपर उठ चुके होते
हैं, वह प्रभाव अन्हें छू भी नहीं पाता है। यहां एक बात और
ध्यान देने योग्य है, वह यह कि चंदन का वृक्ष अपने अंगों से
लिपटे हुए विषधरों के प्रति कभी कोई कटु प्रतिक्रिया नहीं
करता, उसी तरह वे महान लोग भी दुष्टों के प्रति कोई घृणा,
द्वेष या आक्रोष व्यक्त नहीं करते और न ही वे उन्हें दंड देने की
चेष्टा करते हैं।"उचित शीर्षक क्या है प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए
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दन पर विषैले ... होते हैं, जनहित ही जिनके जीवन का ... महापुरुष:
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